शुक्र बताएगा कौन होगा वाहनाधिपति
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पं. अशोक पंवार 'मयंक' कौन नहीं चाहेगा कि उसके पास वाहन न हो। आज का युग बहुत तेज हो गया है। वाहन चाहे दुपहिया हो या चारपहिया लेकिन वाहन की मृगतृष्णा किसे नहीं होती। यदि आपके पास सायकल है तो निश्चित ही मन में स्कूटर या बाइक की होती है और यदि किसी के पास बाइक है तो उसकी महत्वाकांक्षा चार पहिए की गाड़ी की होगी लेकिन प्रत्येक व्यक्ति को वाहन सुख नहीं मिलता, नहीं तो भारत में कम से कम प्रत्येक व्यक्ति वाहन रखता। वाहन सुख जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव से देखा जाता है। यहीं से भू-स्वामी, संपत्ति आदि के विषय में भी जानकारी देखी जाती है। यहीं से मातृसुख, सुख-शांति, कुर्सी की मजबूती आदि देखी जाती है। चतुर्थ भाव यदि शुभ राशि में शुभ ग्रह या अपने स्वामी से युक्त या दृष्ट हो तो उत्तम वाहन सुख मिलेगा। यदि किसी पाप ग्रह से युत या दृष्ट हो तो साधारण स्थिति रहती है। वाहन सुख चतुर्थ भाव के स्वामी की महादशा-अंतरदशा आदि में मिलता है। हम यहाँ पर कुछ ऐसे योग बता रहे हैं, जिससे आप भी जान सकें कि आपकी पत्रिका में वाहन सुख है या नहीं।वाहन का कारक शुक्र है। कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश एवं शुक्र की स्थिति उत्तम होने से वाहन की प्राप्ति होती है। चतुर्थ भाव के कारक ग्रह चंद्र तथा बुध हैं। यदि इनकी स्थिति भी कुंडली में उत्तम हो तो अच्छा लाभ रहेगा।* लग्नेश, चतुर्थेश व नवमेश के परस्पर केंद्र में रहने से वाहन सुख की प्राप्ति होती है क्योंकि लग्न शरीर, चतुर्थ सुख व नवम भाग्य है। इनकी स्थिति यदि मजबूत हो तो निश्चित ही वाहन सुख मिलता है।* चतुर्थ भाव का भावाधिपति पंचम में व पंचम भाव का स्वामी चतुर्थ में हो तो वाहन प्राप्ति होगी।* द्वितीय भाव का स्वामी लग्न में हो, दशमेश धन भाव में हो और चतुर्थ भाव में उच्च राशि का ग्रह हो तो उत्तम वाहन मिलता है।* लग्नेश तथा चतुर्थेश एक साथ लग्न में या चतुर्थ में या नवम भाव में हो तो इन्हीं ग्रहों की दशा-अंतरदशा में वाहन प्राप्त होता है।
* चतुर्थेश एकादश भाव में तथा लाभ भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थेश भाव में हो या चतुर्थेश नवम भाव में तथा नवमेश चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थेश द्वितीय भाव में या द्वितीयेश चतुर्थ भाव में हो तो वाहन सुख मिलता ही है।* चतुर्थेश दशम में तथा दशमेश लग्न में हो या चतुर्थेश तथा शुक्र एक साथ लग्न या चतुर्थ भाव में हो तो वाहन योग बनता है।* शुक्र से सप्तम भाव में चंद्रमा होने भी वाहन सुख मिलता है।* गुरु से दृष्ट चतुर्थेश लाभ भाव में हो तो बहुवाहन योग और चंद्रमा से शुक्र तीसरे या ग्यारहवें में हो तो वाहन योग बनता है।* यदि चतुर्थ भाव का स्वामी शुक्र उच्च का होकर द्वितीय भाव में हो या स्वराशि तुला में नवम भाव में हो तो उच्च वाहन योग बनता है। ये कुंभ लग्न में ही संभव है।* दशमेश एकादश में व एकादशेश दशम में हो तो वाहन सुख मिलता है।* चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हो एवं शुक्र से तृतीय चंद्र हो तो वाहन सुख मिलेगा।* चतुर्थेश किसी भी केंद्र स्थान में बैठा हो और उस केंद्र का स्वामी लाभ भवन में हो तो भी वाहन सुख मिलता है।* भाग्येश, राज्येश, एकादशेश का स्वामी यदि चतुर्थ भाव में बैठ जाए तो वाहन सुख मिलेगा ही।* चतुर्थेश, शनि, गुरु व शुक्र के साथ नवम भाव में हो एवं नवमेश किसी केंद्र या त्रिकोण में हो तो बहुवाहन योग होता है।* चतुर्थेश यदि षष्ठ, अष्टम, द्वादश भाव में बैठा हो या अस्त या शत्रु ग्रही या नीच राशिगत हो तो जातक का वाहन स्थिर न होकर वाहन बिगड़ता व बदलते रहना पड़ता है।* व्ययेश अपनी उच्च राशि में धनेश से युक्त होकर नवम भाव को देखता हो तो वाहन योग होगा।* चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हो एवं चंद्र पर शुक्र हो तो वाहन सुख मिलता है।* धनेश लाभेश में लाभेश धनेश में होगा तो महाधनी योग होने से धन की कमी नहीं रहेगी अतः उच्च वाहन मिलेगा।* भाग्य भाव में उच्च का शुक्र हो तो वाहन योग उत्तम रहेगा क्योंकि शुक्र चतुर्थेश होगा, जो लाभेश भी होगा।* एकादश भाव में शुक्र उच्च का हो या लग्न में शुक्र उच्च का हो तब भी वाहन सुख मिलेगा।