भादो मास में जब सूर्यदेव अपनी राशि परिवर्तन करते हैं तो उस संक्रांति को सूर्य सिंह संक्रांति (surya sankranti) कहते हैं और इस संक्रांति में घी के सेवन का विशेष महत्व है। भादो महीने को भाद्रपद के नाम से भी जानते हैं तथा यह चातुर्मास का दूसरा महीना होता है और इसी महीने में सिंह संक्रांति आती है।
इस दिन आवश्यक रूप से घी का प्रयोग किया जाता है, इसीलिए इस संक्रांति को घी संक्रांति (ghee sankranti 2022) भी कहा जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य को पांच देवों में से एक देव माना जाता है, अत: किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के समय श्री गणेश, शिव जी, विष्णु जी, मां दुर्गा तथा सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
सूर्य गोचर और घी का कनेक्शन : आयुर्वेद में तथा चरक संहिता में यह वर्णित है कि गाय का शुद्ध अर्थात् देसी घी/ गौ घृत बुद्धि, ऊर्जा, स्मरण शक्ति, बलवीर्य और ओज को बढ़ाता है। गाय का घी वसावर्धक होता है तथा वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक माना गया है।
मान्यता के अनुसार जब सूर्य का सिंह राशि में गोचर होता है और इस दिन जो गाय का घी नहीं खाता, उसे अगले जन्म में गनेल यानी घोंघे के रूप में जन्म लेना पड़ता है। आपको ज्ञात हो कि इस बार 17 अगस्त 2022 (17 August, 2022) को सूर्यदेव (Sun Transit in Leo) अपनी राशि बदल रहे हैं। सूर्य इस दिन कर्क राशि से निकल कर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। यह पूरे वर्ष में बनने वाली 12 संक्रांतियां में से एक हैं, जिसमें यह विशेष संयोग बन रहा है। अत: इसी दिन सूर्य सिंह संक्रांति होने के कारण घी का सेवन करना लाभदायी रहता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गाय का घी जिसे घृत भी कहा जाता है, यह बहुत पवित्र होता है। अत: घी घर में रखना, घी का दीया जलाना तथा हवन, पूजन और खाने में घी का उपयोग करना सुख एवं समृद्धिकारक माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार घी संक्रांति के दिन शुद्ध घी का सेवन करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होकर रक्षा होती है। साथ ही इसके कई सेहत लाभ भी माने गए हैं।
इसके साथ ही सूर्य जब राशि बदलता है तो उस दिन यानी सूर्य सिंह संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व माना गया है। इस दिन अपनी स्वेच्छानुसार दान-पुण्य करने की भी पुरातन परंपरा है। घी संक्रांति उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व भी है। तथा इस दिन दूध, दही, फल और सब्जियों को उपहारस्वरूप एक-दूसरे को भी बांटने का बहुत महत्व है।
यदि आप सूर्य संक्रांति के दिन नदी स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर में रखे गंगा जल को ही सादे पानी में मिलाकर स्नान करें तथा स्नान करते समय पवित्र नदियों, तीर्थ स्थानों तथा भगवान सूर्यदेव का ध्यान करें। पूजन के लिए गाय के शुद्ध घी का प्रयोग करें और पूजन के पश्चात गौ घृत का दीपक प्रज्वलित करके भगवान को शुद्ध देसी घी का भोग लगाकर खुद भी ग्रहण करें और परिवार वालों को भी बांटें। इस संक्रांति में सूर्य का गोचर सिंह में होने के कारण घी का सेवन करना सभी के लिए अतिलाभदायी होगा।
साथ ही इस दिन, वस्त्र, अनाज तथा अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं का दान अवश्य ही करें। इसके साथ ही 'ॐ नमो सूर्याय नम:' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार या अधिक से अधिक से करें।