जानिए पंचक को ज्योतिष में क्यों माना गया है अशुभ...
* पंचक शुरू, जानिए पंचक का ज्योतिष में महत्व
* शनिवार से लगने वाले पंचक को कहते हैं मृत्यु पंचक, जानिए कैसे बचें इसके अशुभ प्रभाव से...
भारतीय ज्योतिष में पंचक (Panchak) को अशुभ समय माना गया है इसलिए इस दौरान कुछ कार्य विशेष करने की मनाही है। इसे शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को 'पंचक' कहते हैं। इस बार 25 मार्च, शनिवार की सुबह लगभग 4 बजे से पंचक शुरू होगा, जो 29 मार्च, बुधवार की दोपहर तक रहेगा।
इस समय घर की छत व पलंग (फर्नीचर) बनवाना, ईंधन (जलाने के लिए लकड़ी) इकट्ठा करने, दक्षिण दिशा में यात्रा करने इत्यादि को अशुभ माना गया है। पंचक के प्रभाव से घनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है। शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं। पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है। उत्तराभाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है। रेवती नक्षत्र में धनहानि की आशंका होती है।
शनिवार के दिन शुरू होने वाले पंचक को 'मृत्यु पंचक' कहते हैं। यह पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। पंचक के 5 दिनों में किसी भी तरह के जोखिमभरे काम नहीं करना चाहिए, ऐसा माना गया है। इसके प्रभाव की चपेट में आने वाले विवाद, दुर्घटना, चोट आदि होने का खतरा बनता है।
पंचक में जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो इस स्थिति से बचने के लिए तो शव के साथ 5 पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
इस बारे में जो सबसे ज्यादा प्रचलित मान्यता है वो यह है कि पंचक में किसी की मृत्यु होने से और पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुटुंब या निकटजनों में 5 मृत्यु और हो जाती है।