वर्ष 2025 में मकर संक्रांति कौन से वाहन पर सवार होकर आ रही है, क्या रहेगा उसका प्रभाव?
Makar Sankranti 2025: इस बार वर्ष 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही रखा जाएगा, जब सूर्य प्रातः 8:41 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। स्थानीय समयानुसार समय के भेद रहेगा। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। शनिदेव मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनिदेव के पिता सूर्यदेव है। सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। आओ जानते है कि इस बार मकर संक्रांति कौन से वाहन पर सवार होकर आ रही है, क्या रहेगा उसका प्रभाव?
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मकर संक्रांति का वाहन:
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इस वर्ष मकर संक्रांति का मुख्य वाहन व्याघ्र (बाघ) और उपवाहन अश्व (घोड़ा) होगा।
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मकर संक्रांति का प्रभाव: प्रभाव धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति के वाहन का समाज और प्रकृति पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
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बाघ वाहन होने से इस वर्ष सोना-चांदी, चावल, दूध और दलहन आदि के दाम बढ़ सकते हैं।
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साथ ही, राजा के प्रति विरोध की भावना बढ़ सकती है, पुजारी वर्ग, संन्यासियों और जनता को कष्ट हो सकता है।
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भ्रष्टाचार में वृद्धि और देश का कर्ज बढ़ने की संभावनाएं हैं।
मकर संक्रांति के दिन क्या करें:
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इस दिन पवित्र नदी में तिल के उबटन के साथ स्नान करना और तिल से बनी वस्तुओं, कंबल एवं वस्त्रादि का दान करना शुभ माना जाता है।
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साथ ही, मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी है, जो इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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यह परंपरा सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में मनाई जाती है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है।
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इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने से विशेष लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
मकर संक्रांति पर्व की परंपराएं:
1. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाकर खाने और खिलाने की परंपरा है।
2. मकर संक्रांति के दिन पतंगोत्सव यानी पतंग उड़ाने की परंपरा भी है। खासकर गुजरात में बड़े पैमाने पर पतंग उत्सव मनाते हैं।
3. मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर आग जलाकर उसमें रेवड़ी, मूंगफली, तिल गुड, नई फसल आदि होम करके भी उत्सव मनाते हैं।
4. मकर संक्रांति पर गाय को हरा चारा खिलाने की परंपरा भी है।
5. मकर संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देना और विष्णु पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा करने की परंपरा भी है।
6. मकर संक्रांति के अवसर पर देश के कई शहरों में मेले लगते हैं।