10 नवंबर को कालभैरव अष्टमी पर करें भैरव का पूजन, जपें यह मंत्र
* कालभैरव जयंती : मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी पर जपें यह मंत्र...
शिवपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इस तिथि को कालभैरव अष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से जाना जाता है। कालभैरव शिव का ही स्वरूप हैं। वर्ष 2017 में कालभैरव अष्टमी कैलेंडरों के मतभेद के चलते कहीं 10 नवंबर, शुक्रवार को तो कई स्थानों पर 11 नवंबर 2017, शनिवार को मनाई जाएगी।
पुराणों के अनुसार अंधकासुर दैत्य ने एक बार अपनी क्षमताओं को भूलकर अहंकार में भगवान शिव के ऊपर हमला कर दिया। उसके संहार के लिए शिव के खून से भैरव की उत्पत्ति हुई थी।
नारद पुराण के अनुसार इस दिन को कालाष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करने का बहुत ही महत्व है। काली की उपासना करने वालों को सप्तमी तिथि की अर्द्धरात्रि के बाद मां काली की पूजा करना चाहिए। भैरव शिवशंकर के ही एक रूप हैं इसलिए मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी के दिन निम्न मंत्र का जाप करना फलदायी माना गया है, ऐसा शिवपुराण में कहा गया है।
मंत्र : अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
इस मंत्र के जाप से कालभैरव का स्मरण करने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं तथा नकारात्मकता को दूर भगाकर हर तरह के दु:ख दूर हो जाते हैं।
आरके