वर्ष 2022 में 15 अगस्त, दिन सोमवार को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2022) व्रत मनाया जाएगा। बहुला चतुर्थी व्रत में गौ पूजन (Cow Worship Festival) को बहुत महत्व दिया गया है। यह दिन भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पड़ता है। इस दिन श्री कृष्ण भगवान का पूजन भी किया जाता है। इसी दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी होने के कारण यह व्रत भी किया जाएगा तथा विघ्नहर्ता श्री गणेश का पूजन भी विशेष रूप से किया जाएगा। उदयातिथि के आधार पर बहुला चतुर्थी व्रत 15 अगस्त को रखा जाएगा।
बहुला चौथ की पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माताएं कुम्हारों द्वारा मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय-श्री गणेश तथा गाय की प्रतिमा बनवाकर मंत्रोच्चारण तथा विधि-विधान के साथ इसे स्थापित करके पूजा-अर्चना करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति करती हैं।
यहां पढ़ें कथा, पूजा विधि और मुहूर्त-
बहुला चौथ पौराणिक कथा : Bahula Chaturthi Katha
बहुला चौथ व्रत से संबंधित एक बड़ी ही रोचक कथा प्रचलित है। जब भगवान विष्णु का कृष्ण रूप में अवतार हुआ तब इनकी लीला में शामिल होने के लिए देवी-देवताओं ने भी गोप-गोपियों का रूप लेकर अवतार लिया। कामधेनु नाम की गाय के मन में भी कृष्ण की सेवा का विचार आया और अपने अंश से बहुला नाम की गाय बनकर नंद बाबा की गौ शाला में आ गई।
भगवान श्री कृष्ण का बहुला गाय से बड़ा स्नेह था। एक बार श्रीकृष्ण के मन में बहुला की परीक्षा लेने का विचार आया। जब बहुला वन में चर रही थी, तब भगवान सिंह रूप में प्रकट हो गए। मौत बनकर सामने खड़े सिंह को देखकर बहुला भयभीत हो गई। लेकिन हिम्मत करके सिंह से बोली, 'हे वनराज मेरा बछड़ा भूखा है। बछड़े को दूध पिला कर मैं आपका आहार बनने वापस आ जाऊंगी।'
सिंह ने कहा कि सामने आए आहार को कैसे जाने दूं, तुम वापस नहीं आई तो मैं भूखा ही रह जाऊंगा। बहुला ने सत्य और धर्म की शपथ लेकर कहा कि मैं अवश्य वापस आऊंगी। बहुला की शपथ से प्रभावित होकर सिंह बने श्री कृष्ण ने बहुला को जाने दिया। बहुला अपने बछड़े को दूध पिला कर वापस वन में आ गई।
बहुला की सत्यनिष्ठा देखकर श्री कृष्ण अत्यंत प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर कहा कि 'हे बहुला, तुम परीक्षा में सफल हुई। अब से भाद्रपद चतुर्थी के दिन गौ माता के रूप में तुम्हारी पूजा होगी। तुम्हारी पूजा करने वाले को धन और संतान का सुख मिलेगा।'
यह व्रत करने से परिवार पर आ रहे विघ्न संकट तथा सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं तथा यह व्रत जन्म-मरण की योनि से मुक्ति भी दिलाता है।
बहुला चौथ पूजन विधि- Bahula Chaturthi Pujan Vidhi
- बहुला चौथ (चतुर्थी) केा दिन भगवान श्री कृष्ण ने गौ पूजा के दिन के रूप में मान्यता प्रदान की है।
- बहुला व्रत माताओं द्वारा अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है।
- यह व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
- इस चतुर्थी को आम बोलचाल की भाषा में बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है।
- जो व्यक्ति चतुर्थी को दिनभर व्रत रखकर संध्या के समय भगवान श्री कृष्ण, शिव परिवार तथा गाय-बछड़े की पूजा करता हैं, उसे अपार धन, ऐश्वर्य तथा संतान की कामना रखने वालों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- इस दिन चाय, कॉफी या दूध नहीं पीना चाहिए, क्योंकि यह दिन गौ पूजन का होने से दूधयुक्त पेय पदार्थों को खाने-पीने से पाप लगता है, ऐसी मान्यता है।
बहुला चौथ शुभ मुहूर्त- Bahula Chaturthi Muhurat
बहुला चतुर्थी : 15 अगस्त 2022, सोमवार
भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी का प्रारंभ- रविवार, 14 अगस्त 2022 को रात 10.35 मिनट से।
भाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी का समापन- 15 अगस्त 2022, सोमवार रात 09.01 मिनट पर।
गोधूली पूजा मूहूर्त- सायं 06.47 से 07.14 तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11.59 से 12.52 तक।
चंद्रोदय पूजन समय- रात 09.27 मिनट पर।
राहुकाल- प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक।