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Written By Naidunia
Last Modified: रतलाम , रविवार, 8 जनवरी 2012 (00:44 IST)

ट्रॉमा केयर सेंटर खत्म

ट्रॉमा केयर सेंटर खत्म -
जिला चिकित्सालय परिसर में निर्मित ट्रॉमा केयर सेंटर को चिकित्सालय प्रशासन ने हड्डी वार्ड का स्थानांतरण कर खत्म कर दिया है। नए साल में ट्रॉमा केयर सेंटर में हड्डी के कई मरीज पहुँच गए है। इससे केन्द्रीय भूतल परिवहन एवं सड़क मंत्रालय की ट्रॉमा केयर सेंटर की अवधारणा खत्म हो गई है। वैसे भी रतलाम में लम्बे इंतजार के बाद गत वर्ष 1 जनवरी को यह शुरू हुआ था। इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 10 अप्रैल 2010 को ही कर दिया था।


ट्रॉमा केयर सेंटर की मंजूरी की वजह प्रदेश स्तर पर रतलाम जिलें में सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या काफी अधिक होना थी। दुर्घटना में घायलों को तत्काल राहत देने के लिए भूतल,परिवहन और सड़क विभाग ने रतलाम में ट्रॉमा केयर सेंटर के लिए पाँच करोड़ रुपए मंजूर किए थे। इसमें भवन निर्माण के लिए 60 लाख मंजूर थे,जो कि बाद में बढ़कर 72 लाख तक हो गए। शेष राशि उपकरणों के लिए थी।


8 में से 1 ही मिली एम्बुलेंस

हाई वे पर हर 50 किलोमीटर पर एक एम्बुलेंस सड़क पर खड़ी होना थी, ताकि वह 100 किलोमीटर तक की दूरी से दुर्घटना में घायल मरीज को ला सके। एम्बुलेंस में ट्रेंड स्टाफ की व्यवस्था होनी थी। ताकि व्यवस्थित रूप से घायलों को उठाकर जीवित ट्रॉमा केयर सेंटर पहुँचाया जाए। उल्लेखनीय है कि घायलों को कैसे उठाया जाए,यह प्रशिक्षण हरेक को नहीं होता है और अधिकांश मौत केवल घायलों में उठाने में ही हो जाती है। ट्रॉमा केयर सेंटर के साथ 8 एम्बुलेंस का प्रावधान था,मगर अब तक मात्र 1 एम्बुलेंस ही मिल आई है।


नहीं हुई पदों की पूर्ति

मुख्यमंत्री के हाथों लोकार्पण के 9 माह बाद ट्रॉमा केयर सेंटर को शुरू किया गया, लेकिन पदों की पूर्ति अब तक नहीं हो पाई है। यहाँ आर्थोपेडिक सर्जन के 3 पदों के विरूद्ध 1 की नियुक्ति हुई हैं। सर्जिकल व एनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट के 3-3, स्टाफ नर्स के 25, वार्ड बॉय के 12, रेडियोलॉजिस्ट व लेब टेक्नीशियन के 1-1 पद मंजूर किए गए है, मगर इनमें से अधिकांश रिक्त है।


हड्डी वार्ड से परेशानियाँ बढ़ी

सिविल सर्जन ने हाल ही में जिला चिकित्सालय के हड्डी वार्ड को ट्रामा केयर सेंटर में स्थानांतरित कर दिया है। इससे हड्डी रोगियों की परेशानियाँ बढ़ गई है,वही सेंटर की उपयोगिता पर भी सवाल उठने लगें है। पहले 50 फुट की दूरी पर एक्सरे और ओपीडी था,जबकि अब मरीजों को एक्सरे के लिए 1000 फुट की दूरी तय करके पुराने स्थान पर लाना पड़ रहा है। ट्रामा केयर सेंटर का एक्सरे केन्द्र शुरू से स्टाफ नही से बंद पड़ा है। उल्लेखनीय है कि ट्रॉमा केयर सेंटर में महिला तथा पुरुष के दो अलग वार्डो में 8-8 पलंगों की व्यवस्था है। हड्डी वार्ड स्थानांतरित करने के बाद पलंग की संख्या 12-12 कर दी गई है। एक मरीज के साथ दो व्यक्ति हो तो 70-80 लोग रोज व्यवस्था को खराब करेंगे। इससे इनफेक्शन बढ़ेगा और बिमारिया खत्म होने के बजाय नया रूप ले लेगी।


लाख टके का सवाल

हड्डी वार्ड के स्थानांतरण के बाद लाख टके का सवाल यह है कि हाई-वे पर होने वाली दुर्घटना में घायल होने वालों का उपचार अब तत्परता से कहाँ और कैसे होगा? केन्द्र सरकार ने जिन लोगों का जीवन बचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर ट्रॉमा केयर सेंटर बनवाया था, उन्हे अब कैसे राहत मिलेगी। ट्रॉमा केयर सेंटर की मूल अवधारणा खत्म किए जाने से कई लोग खफा है। चिकित्सालय प्रशासन ने इस फेसले के लिए रायशुमारी भी नही की। रोगी कल्याण समिति और अन्य एजेंसियों को भी नही बताया गया है।-निप्र


फिर बदला जा सकता है निर्णय

जिला चिकित्सालय में स्थान की कमी है। केन्द्र सरकार ने रतलाम के लिए वृद्घों,कैंसर और मधुमेह के उपचार हेतु विशेष योजना स्वीकृत की है। इसके लिए हड्डी वार्ड को स्थानांतरित कर योजनाओं के लिए स्थान निकाला गया है। ट्रॉमा केयर सेंटर का अब तक वैसे भी उपयोग नही हो रहा था। यदि आवश्यकता पड़ी तो हड्डी वार्ड को स्थानांतरित करने का निर्णय फिर बदला जा सकता है। - राजेन्द्र शर्मा, कलेक्टर, रतलाम