Last Modified: इंदौर ,
मंगलवार, 6 मार्च 2012 (12:57 IST)
रविवार को कम्प्यूटर सेंटर पहुंचे रजिस्ट्रार
विवि की कोरी मार्कशीट बाजार में पहुँचने के नईदुनिया के खुलासे के बाद विवि प्रशासन हरकत में आ गया है। रविवार से ही तफ्तीश भी शुरू हो गई। रजिस्ट्रार आरडी मूसलगांवकर सहायक रजिस्ट्रार प्रज्ज्वल खरे के साथ दोपहर में विवि के तक्षशिला कैंपस पहुंचे। कम्प्यूटर सेंटर में जाकर अधिकारियों ने अखबार के हाथ लगी मार्कशीट के सीरियल नंबरों की छानबीन की। अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं कि रिकॉर्ड खंगालकर आंकड़ा भी निकाला जाए कि कितनी और कौन से सीरियल नंबरों वाली मार्कशीट अब तक गायब हुई हैं। प्रारंभिक जाँच में ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि मार्कशीट विवि से ही गायब होकर बाजार तक पहुँची। यह पता लगाया जा रहा है कि अब तक कितनी मार्कशीट ऐसे गायब की गईं। इसके बाद उनके सीरियल नंबरों के साथ उनकी सार्वजनिक सूचना जाहिर की जाएगी ताकि इनका दुरुपयोग न हो सके। इन नंबरों वाली मार्कशीट को ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा ताकि आगे कहीं वेरीफिकेशन के लिए आने पर उन्हें पकड़ा जा सके। इस पूरी कवायद के बीच ही विवि को मार्कशीट चोरी होने की एफआईआर भी दर्ज करवाना होगी। इसके बाद पुलिस मामले में शामिल लोगों को विवि के रिकॉर्ड के आधार पर पकड़ सकेगी।
सुधरती नहीं व्यवस्था
शहर में पास फेल करवाने के साथ ही फर्जी करीके से मार्कशीट बनवाने के धंधे भी चल रहे हैं। हैरत की बात है अब तक इसमें विवि से जुड़े लोगों की सहभागिता ही सामने आई है। बीते महीने ही पुलिस ने फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था। उसमें कुलपति का पूर्व ड्रायवर शामिल था। इससे पहले वष-2009 में भी विवि से 44 कोरी मार्कशीट गायब हुईं थीं। लंबी जाँच के बाद उस मामले में एक कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। हालांकि अब तक विवि न तो ऐसे गिरोह की सभी कड़ियों तक पहुंच सका है न ही व्यवस्थाओं को चाक चौबंद कर सका है।