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Written By Naidunia
Last Modified: बुरहानपुर , शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011 (11:22 IST)

बचाव में ही सुरक्षा

बचाव में ही सुरक्षा -
एड्स का कोई उपचार नहीं है। बचाव में ही सुरक्षा है। एड्स संक्रामक बीमारी है और देश में 1 करोड़ से अधिक लोग इससे पीड़ित हैं। औषधियों के माध्यम से मरीज का उपचार किया जा सकता है, परंतु मरीज ठीक नहीं हो सकता है।


उक्त विचार एड्स के समन्वय अधिकारी डॉ. एमपी गर्ग ने रेडक्रॉस भवन पर गुरुवार को विश्व एड्स दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।


इससे पहले शासकीय कन्या उमावि परिसर में कलेक्टर रेणु पंत ने हरी झंडी दिखाकर स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में निकाली जा रही जागरूकता रैली को रवाना किया। नगर भ्रमण के बाद रैली का समापन रेडक्रॉस भवन पर हुआ। रैली में प्रशिक्षु महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, ब्रजमोहन मिश्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल संस्थान की नर्सिंग की छात्राएँ, सेवासदन महाविद्यालय एवं डॉ. जाकिर हुसैन महाविद्यालय के छात्रों के साथ एनसीसी छात्र शामिल हुए। रैली में शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ विभिन्ना सामाजिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भी सहभागिता की।


मरीज की पहचान और लक्षण

मरीज का एक माह में 10 प्रश वजन कम होना, लगातार दस्त होना, निमोनिया से पीड़ित होना एवं अन्य सामान्य बीमारियों का ठीक न होना इसके लक्षण हैं।


कार्यक्रम को जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लालसिंह उचारिया, रोटरी क्लब के मोहम्मद मर्चेंट व लायंस क्लब के हीरालाल शर्मा आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर नागरिकों को एड्स से बचाव व सुरक्षा का संकल्प भी दिलाया गया। संचालन श्री साँई नशामुक्ति केन्द्र के संचालक डॉ. मनोज अग्रवाल ने किया। आभार रेडक्रॉस समिति के डॉ. अशोक प्रसाद गुप्ता ने माना।


लेप्रा इंडिया हेल्थ इन एक्शन बुनियाद परियोजना ने भी अंतरप्रांतीय पुष्पक बस स्थानक में कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान बसों पर बैनर लगाए गए एवं ग्रामीणों को एड्स की जानकारी दी गई। साथ ही एकीकृत परामर्श एवं जाँच केन्द्र की मोबाइल सेंटर के माध्यम से जाँच एवं परामर्श दिया गया।