Last Modified: नई दिल्ली ,
बुधवार, 6 जून 2012 (00:22 IST)
15 साल की लड़की की शादी वैध-हाईकोर्ट
FILE
दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि रजस्वला होने पर मुस्लिम लड़की 15 वर्ष की आयु में भी अपनी मर्जी से विवाह कर सकती है। इसी के साथ अदालत ने एक अवयस्क लड़की के विवाह को वैध ठहराते हुए उसे अपने ससुराल में रहने की अनुमति प्रदान कर दी।
न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट्ट और न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने कहा कि अदालत इस तथ्य का संज्ञान लेती है कि मुस्लिम कानून के अनुसार यदि कोई लड़की रजस्वला हो जाती है तो वह अपने अभिभावकों की अनुमति के बिना भी विवाह कर सकती है। उसे अपने पति के साथ रहने का भी अधिकार प्राप्त होता है भले ही उसकी आयु 18 साल से कम हो।
अवयस्क मुस्लिम लड़कियों के विवाह के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि उक्त व्यवस्थाओं से स्पष्ट है कि रजस्वला होने पर 15 वर्ष की उम्र में मुस्लिम लड़की विवाह कर सकती है। इस तरह का विवाह निष्प्रभावी नहीं होगा। बहरहाल, उसके वयस्क होने अर्थात् 18 वर्ष की होने पर उसके पास इस विवाह को गैरकानूनी मानने का विकल्प भी है।
अदालत ने मां की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निबटारा करते हुए 16 साल की इस लड़की को अपने ससुराल में रहने की अनुमति प्रदान कर दी। मां ने इस याचिका में आरोप लगाया था कि पिछले साल अप्रैल में एक युवक ने उसकी बेटी का अपहरण करने के बाद उससे जबरन विवाह कर लिया है।
पीठ ने लड़की के इस बयान को स्वीकार कर लिया कि उसने अपनी मर्जी से पिता का घर छोड़कर अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी की थी और अब वह अपने माता-पिता के पास वापस नहीं जाना चाहती है। लड़की चाहती थी कि ऐसी स्थिति में उसके पति के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज नहीं होना चाहिए।
इस बीच, अदालत ने इस दंपति और उनके ससुराल वालों को निर्देश दिया कि वे इस लड़की के वयस्क होने तक छह महीने में एक बार बाल कल्याण समिति के समक्ष हाजिर होंगे। पीठ ने कहा कि समिति इस मामले में पति से आवश्यक लिखित आश्वासन लेने सहित सभी आवश्यक कदम उठाएगी। इन कदमों के पूरा होने पर लड़की को उसके ससुराल में रहने की अनुमति दी जाएगी।
यह लड़की इस समय गरीब और बुजुर्ग महिलाओं के पुनर्वास के लिए बनाए गए सरकार प्रायोजित गृह निर्मल छाया में रह रही है। (भाषा)