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Written By Author पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

नवंबर 2009 : ज्योतिष की नजर में

शीत लहर का प्रकोप बढ़ेगा

November 2009 | नवंबर 2009 : ज्योतिष की नजर में
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प्रकृति की रचना जब से हुई है। या कहें कि इस संसार की रचना से ही परिवर्तन, उलटफेर, घटना, दुर्घटना चली आ रही हैं। इसी के साथ प्रत्येक सांसारिक जीव अपने स्वभाव अनुसार अपने में परिवर्तन करता है एवं अपने स्थान को उन्नति के लिए परिवर्तित करता है।

इसी प्रकार ग्रह स्थान परिवर्तन कर एक राशि से दूसरी राशि पर जाते हैं एवं नक्षत्र का भी भ्रमण करते हैं। इस परिवर्तन से नवंबर 09 माह में क्या प्रभाव पड़ता है। देखें ज्योतिष की नजर से।

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शुक्र ग्रह 3 नवंबर को तुला राशि में प्रवेश करेगा इसके फलस्वरूप शुभ फल मिलेगा। पृथ्‍वी पर रोग कम होंगे। आरोग्यता बढ़ेगी। इसी के साथ कहीं-कहीं विरोधपूर्ण स्थिति बनेगी।

12 नवंबर को बुध वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा फलस्वरूप घी, तेल, महँगे होंगे एवं धान्य अच्छी होगी जिससे जनता सुखी होगी। शुक्र, बुध एवं सूर्य तीनों एक ही राशि पर (तुला राशि में) विराजमान होंगे।

इसका प्रभाव धान्यों के भाव में तेजी लाएगा एवं मेघ बनेंगे परंतु वर्षा कम होगी। इसी के साथ मंगल 9 नवंबर को आश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके प्रभाव से भी वर्षा कम होती है। धान्य का नाश कुछ ज्यादा होगा। इसी के साथ सर्प भय रहेगा। 16 नवंबर को सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। इसके प्रभाव से पूर्व तथा दक्षिण के देशों में पीड़ा रहेगी। पश्चिम के देशों में युद्ध का भय बना रहेगा। परंतु इसका दूसरा परिणाम यह रहेगा कि उत्तर के देशों में सुख-शांति होगी। 17 नवंबर को राहु अपनी वक्र गति के साथ धनु राशि में प्रवेश करने जा रहा है। नवंबर मध्य में हिमाचल प्रदेश पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की वर्षा होगी।

राहू के धनु राशि में फलस्वरूप हाथी व घोड़ों के भाव में वृद्धि होगी तथा सरकार एवं जनता में परस्पर विरोध होंगे। 27 नवंबर के शुक्र वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप सभी धान्य सस्ते होंगे। मनुष्य सुखी, निर्भय एवं स्वस्थ रहेगा। 30 नवंबर को बुध धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप मृग एवं हाथी पर विपत्ति आएगी। नवंबर माह की कुंडली को मौसम की दृष्टि से देखें तो पूर्वार्द्ध में सूर्य बुध के आगे राहु स्थित होने से शीत लहर का प्रकोप बढ़ेगा।

पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की वर्षा के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना बनती है। राजस्थान, हरियाणा, झारखंड में बूँदाबांदी की पूर्ण संभावना बनती है।