अंतत: कहना होगा की इस वर्ष धर्म पर कट्टरवादियों का जोर ज्यादा चला। देश भर में जगह-जगह छुटपुट साम्प्रदायिक घटनाएँ या दंगे होते रहे। वहीं दूसरी ओर धार्मिक स्थलों पर अव्यवस्था के चलते कई हादसे हुए। इन सबको सम्भालने में व्यवस्थाएँ असफल सिद्ध हुई। धर्म के मर्म को समझने में प्रत्येक वर्ष आ रही गिरावट भी सेंसेक्स की तरह ही रही। विश्व भर में धर्म की समझ लगभग खत्म होती जा रही है जो मानवीय मूल्यों और धर्म के लिए भयावह है।
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