Last Modified: मंदसौर ,
शनिवार, 3 सितम्बर 2011 (10:05 IST)
हक के लिए लड़ेंगे कोटवार
वर्षों से जमीन का मालिकाना हक व मानदेय को लेकर संघर्ष कर रहे कोटवार अब संघर्ष के मूड में आ गए हैं। शुक्रवार को पशुपतिनाथ महादेव मंदिर से उन्होंने इस लड़ाई का ऐलान कर दिया है। कोटवारों का कहना है कि वर्ष 2007 में कोटवारों की महापंचायत में किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हो पाने के लिए मुख्यमंत्री से जवाब माँगा जाएगा।
जिले में पदस्थ 1500 कोटवार सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं। साथ ही वे सेवा खाते की जमीन पर खेती भी कर रहे हैं। वर्षों से कोटवार उस जमीन के मालिकाना हक की मॉंग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार द्वारा सेवा खाते की जमीन के रकबे के आधार पर कोटवारों को मानदेय दिया जा रहा है। यह 400 रुपए से शुरू होता है और जिन गॉंवों में जमीन नहीं है, वहाँ केवल 2000 रुपए तक का मानदेय दिया जा रहा है। अब कोटवारों को यही बात चुभ रही है कि महज 2000 रुपए में घर का गुजारा कैसे हो सकता है।
आर्थिक समस्या
जिला कोटवार संघ के अध्यक्ष भेरूसिंह सिसौदिया व सचिव जगदीशचंद्र ने बताया कि जिन कोटवारों के पास 20 बीघा जमीन है, उन्हें मानदेय 400 रुपए तथा 2 बीघा जमीन वाले को 1000 रुपए दिए जा रहे हैं। इससे इनके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है। कोटवारों की मॉंग है कि जिनके पास सेवा खाते की जमीन नहीं है व जिनके पास कम है, उन्हें कम से कम 6000 रुपए मासिक वेतन दिया जाए। साथ ही जमीनों का मालिकाना भी हक मिले। बैठक में गुराड़िया केकोटवार मोहनलाल, देहरी के जगदीश, माऊखेड़ी के परमानंद, लसूड़िया इला के बाबूलाल, मजेसरी के शंकरलाल व ग्राम पटेला के हमीद खाँ आदि मौजूद थे।
घोषणा पर अमल नहीं
22 जून 07 को भोपाल में आयोजित कोटवारों की महापंचायत में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घोषणा की थी कि सभी कोटवारों को उनकी सेवा खाते की जमीनों पर मालिकाना हक और क्रेडिट कार्ड दिए जाएॅंगे। इस दिशा में अभी तक कुछ नहीं हुआ है। अब भी कोटवार अपनी सुविधाओं से कोसों दूर है। इसे लेकर जिला कोटवार संघ ने पुनः आंदोलन की शुरुआत कर दी है।
सेवा खाते की भूमि
ग्वालियर स्टेट के शासन के दौरान ही कोटवारों के लिए शासकीय भूमि में कुछ भूमि दी जाती थी। इसे राजस्व रिकार्ड में सेवा खाते में लिखा जाता है। बाद में मप्र के गठन के बाद भू राजस्व संहिता में भी यह प्रावधान रखा गया। अभी भी सेवा खाते की भूमि को कोटवारों को खेती के लिए दिया जाता है। जिन-जिन गॉंवों में सेवा खाते की भूमि है, वहॉं जमीन खेती के लिए उपलब्ध कराई जाती है।
ये है जिम्मेदारी
वर्तमान में शासन द्वारा कोटवारों को गॉंव में शासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार, डोंडी पिटवाना, सुरक्षा के दायित्व सौंपे गए हैं। इसके अलावा संबंधित गॉंवों में किसी आपातकालीन स्थित, दुर्घटना व बीमारियों के प्रकोप संबंधी जानकारी भी कोटवार ही संबंधित तहसील मुख्यालय पर पहुॅंचाते हैं। समय-समय पर जिला मुख्यालय व अन्य जगहों पर होने वाले बड़ी राजनीतिक सभा, धार्मिक आयोजनों में भी कोटवारों को तैनात किया जाता है। इसके बदले में शासन द्वारा कोटवारों को मोबाइल, साइकल, बेटरी, बल्लम और जूते उपलब्ध कराए जा रहे हैं।-निप्र