जैसा कि इसका नाम है पुष्पांजलि इसी से यह सिद्ध होता है कि यह मुद्रा किस प्रकार की होगी। यह महत्वपूर्ण हस्त योग मुद्रा है। जैसे दुआ में हाथ उठाते हैं या पुष्प अर्पण करते हैं तब यह मुद्रा बनती है।
मुद्रा की विध : पहले कपोत मुद्रा में आ जाएं अर्थात दोनों हाथों की अंगुलियों और अंगूठे को आपस में मिला मणिबद्ध को भी मिला लें। फिर दोनों हाथों की छोटी अंगुलियों को एक साथ मिलाकर ऐसी आकृति बना लें कि जैसे हम किसी भगवान को फूल चढ़ाते समय बनाते हैं इसे ही पुष्पांजलि मुद्रा कहते हैं।
इसका लाभ : पुष्पांजली मुद्रा के निरंतर अभ्यास से नींद अच्छी तरह से आने लगती है। आत्मविश्वास बढ़ता है।