मुद्राओं में पृथ्वी मुद्रा का बहुत महत्व है। यह हमारे भीतर के पृथ्वी तत्व को जागृत करती है। योगियों ने मनुष्य के शरीर में दो मुख्य नाड़ियाँ बतलाई हैं। एक सूर्यनाड़ी और दूसरी चन्द्र नाड़ी।
पृथ्वी मुद्रा करने के दौरान अनामिका अर्थात सूर्य अँगुली पर दबाव पड़ता है, जिससे सूर्य नाड़ी और स्वर के सक्रिय होने में सहयोग मिलता है।
विधि : तर्जनी अँगुली को अँगूठे से स्पर्श कर दबाएँ। बाकि बच गई तीनों अँगुलियों को उपर की और सीधा तान कर रखें। आप इस मुद्रा को कहीं भी किसी भी समय कर सकते हैं।
लाभ : पृथ्वी मुद्रा से सभी तरह की कमजोरी दूर होती है। इससे वजन बढ़ता है। चेहरे की त्वचा साफ और चमकदार बनती है। यह मुद्रा शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने में मदद करती है।