आपको बता दें कि भारत में सबसे ज़्यादा इंजीनियर मौजूद हैं और हर साल 7 लाख से भी ज़्यादा विद्यार्थी इंजीनियर की पढ़ाई करते हैं। इतने ज़्यादा विद्यार्थी होने के बाद भी इंजीनियर में महिलाओं का आंकड़ा पुरुषों की तुलना में काफी कम है। पर, क्या आपको पता है कि ...
आज देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह आजादी हमें यूं ही नहीं मिली। इसके लिए न जाने कितने फांसी के फंदे पर झूले थे और न जाने कितनों ने गोली खाई थी, तब जाकर हमने यह आजादी पाई थी। देश ऋणी है उन क्रांतिवीरों का जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से ...
स्वामी विवेकानंदजी को याद करने पर सिस्टर निवेदिता का याद आना स्वाभाविक है। वे न केवल स्वामीजी की शिष्या थीं, वरन् पूरे भारतवासियों की स्नेहमयी बहन थीं। सिस्टर निवेदिता का असली नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल था।
निर्मला देशपांडे नहीं रहीं। इस एक खबर के साथ ही उस ऊर्जा और रचनात्मक उत्साह का अवसान हुआ है जिसने समय-समय पर जीवटता के प्रतिमान गढ़े। गाँधीजी की वे सिर्फ अनुयायी ही नहीं थीं बल्कि सचमुच उन्होंने गाँधीजी के आदर्शों को गहराई से जिया था। उनका जुझारू
ग्वालपाड़ा जिले की एक निरक्षर महिला वीरूबाला रामा वर्षों से लड़ रही हैं। वे अपने समाज से डायन हत्या की कुप्रथा को समाप्त करने का अभियान चला रही हैं। सीमित संसाधन और असीमित संकल्प शक्ति के सहारे रामा कुप्रथा के खिलाफ एक प्रतीक बनकर उभरी हैं।
उस देश में जहाँ सपनों में भी आदमी सिर्फ और सिर्फ रोटी देखता है, वहाँ फैशन या फैशन शो जैसे महँगे शब्दों का होना भर कल्पना से परे है, लेकिन ये दो महिलाएँ इस कल्पना को साकार कर रही हैं। यही नहीं यही फैशन कई लोगों को इज्जत की रोटी के साथ दुनियाभर .....
कथक नृत्यांगना के रूप में सितारा देवी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज वे जिस मुकाम पर हैं वह राह इतनी आसान नहीं थी। उस जमाने में लड़कियों को अपने फैसले लेने का हक नहीं था
16 जुलाई 1972 को जब किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली प्रथम महिला बनीं, तब मेरी उम्र 17-18 वर्ष थी। हम सारी सहेलियाँ इससे बहुत खुश थीं। वस्तुतः यह नारी की उपलब्धियों का एक स्वर्णिम अध्याय था
एक चिरपरिचित आवाज जो वर्षों से हमारे कानों में गूँज रही है। दुनिया का शायद ही कोई शख्स ऐसा होगा जो इस आवाज से परिचित ना हो-यह नाम है स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर
आजादी की लड़ाई में उन्हीं अग्रणियों में एक नाम आता है – मैडम भीकाजी कामा का। इनका नाम आज भी इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों से सुसज्जित है। 24 सितंबर 1861 को पारसी परिवार में भीकाजी का जन्म हुआ
पूना शहर में जन्मी आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने डॉक्टरी की डिग्री ली थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्टरी की डिग्री हासिल करना
56 वर्ष की शिरीन इबादी ने 2003 के नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त कर सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया था। वकील, लेखिका, प्राध्यापिका के पद की मर्यादा निभाती तथा मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए सतत संघर्ष करती आ रही
कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन (1933) की अध्यक्ष रहीं नेली सेनगुप्त कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में पैदा हुईं। उन्होंने 1904 में सीनियर कैम्ब्रिज पास की। भारत के राष्ट्रवादी नेता यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त से प्रेम विवाह (1909) के पूर्व वे नेली ग्रे थीं।
विक्टोरिया का जन्म सन् 1819 के मई मास में हुआ था। वे आठ महीने की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया। विक्टोरिया के मामा ने उनकी शिक्षा-दीक्षा का कार्य बड़ी निपुणता से संभाला।
'इंदिरा गाँधी' एक ऐसी शख्सियत का नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। करीब 12 सालों तक भारत जैसे विशाल देश की बागडोर उन्होंने संभाली है। वे भारत की पहली महिला थीं जो प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुईं।