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Written By गायत्री शर्मा

पब भरो, हग करो

जहाँ छलकते हैं हर पल जाम

पब भरो, हग करो -
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पब, मतलब युवाओं के लिए मौज-मस्ती का बहाना। वर्तमान की महानगरीय सभ्यता में 'पब कल्चर' एक नए ट्रेंड के रूप में उभरकर आया है। पब मतलब लेट नाइट पार्टी, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती का बहाना। आमतौर पर छोटे शहरों के लोग दोस्तों के साथ गपशप करने तथा कुछ मुस्कराहट के पल बटोरने के लिए 'कैफे हाउस' या 'टी क्लब' जाते हैं परंतु महानगरों में इनकी जगह पब ने ले ली है।

हममें से कुछ लोग संभवत: पब के नाम से ही अनभिज्ञ थे परंतु मंगलौर के पब में हुई युवक-युवतियों के साथ मारपीट की घटना ने 'पब' को हम सबके लिए जाना-पहचाना-सा बना दिया है। हर घटना की तरह मंगलौर के पब में हुई इस घटना के भी दो पक्ष हैं।

  जब वेलेंटाइन डे के दिन सड़कों पर कुछ दलों का प्रेमविरोधी अभियान चल रहा था तब इन पबों में युवाओं का 'पब भरो, हग करो' अभियान चल रहा था। जिसका स्पष्ट अर्थ था कि हम जोशीले युवा हैं।       
पहला पक्ष तो यह कि इस घटना ने जहाँ एक ओर देश के ‍सिरफिरे युवाओं को शालीनता का सबक सिखाया है, वहीं दूसरी ओर इस घटना ने कई युवाओं को 'पब कल्चर' के उस नए ट्रेंड से अवगत कराया है, जिससे वे अब तक अनभिज्ञ थे परंतु इस घटना के बाद पब की चकाचौंध भरी जिंदगी को देखकर अब वे भी वहाँ जाकर उस कल्चर का एक हिस्सा बनना चाहते हैं।

ओपियम, टेंपटेशन, फायर एंड आइस, एमनेसिया, डेन ये सभी नाम है दिल्ली, मुंबई व मंगलौर जैसे महानगरों के चर्चित पबों के। जब वेलेंटाइन डे के दिन सड़कों पर कुछ दलों का प्रेमविरोधी अभियान चल रहा था तब इन पबों में युवाओं का 'पब भरो, हग करो' अभियान चल रहा था जिसका स्पष्ट अर्थ था कि हम जोशीले युवा हैं।

आप जहाँ अवरोध पैदा करेंगे, हम उस अवरोध को लाँघकर ‍निकल जाएँगे। यही कारण है कि जब प्रेमी युगलों को सड़कों पर एक-दूसरे से प्यार का इजहार करने पर रोका गया तो वे होटलों और पबों में जाकर यह सब करने लगे। इसका मतलब यह है कि कहीं न कहीं दोष तो हमारा भी है।

वर्तमान 'पब कल्चर' एक स्टेटस सिंबल बन गया है तो यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जहाँ छलकते हैं हर पल जाम यह तब तक कायम रहेगा, जब तक इस देश के युवा स्वयं जागृत नहीं होंगे। अब हमें इस बात पर विचार करना होगा कि आखिर पब व बियर बारों की रंगीनियों में लड़खड़ाते देश की इस भावी युवा पीढ़ी को कैसे संस्कारों का पाठ पढ़ाया जाए।