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बरगद का पेड़ इतना खास क्यों है? वट वृक्ष किसे कहते हैं? वट वृक्ष की पूजा कब की जाती है? 12 बड़ी बातें

banyan tree in ayurveda
19 मई 2023, शुक्रवार को वट सावित्री अमावस्या व्रत के दिन बरगद, वट और बड़ कहे जाने वाले पेड़ को पूजा जाता है। वट वृक्ष का पूजन करने जा रहे हैं तो आपको वट वृक्ष के बारे में पता भी होना चाहिए। आइए जानते हैं 
Importance of banyan tree in hindi

हिन्दू धर्म संस्कृति में 'वट सावित्री अमावस्या एवं पूर्णिमा' का व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। वट पूजा से जुड़े धार्मिक, वैज्ञानिक और व्यावहारिक पहलू में 'वट' और 'सावित्री' दोनों का विशिष्ट महत्व माना गया है। 
 
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह व्रत सौभाग्य और संतान प्राप्ति में सहायता देने वाला माना गया है। आइए जानते हैं सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने वाले वट वृक्ष की विशेषताएं -
 
1. पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है।
 
2. प्राचीनकाल में मानव ईंधन और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लकड़ियों पर निर्भर रहता था, किंतु बारिश का मौसम पेड़-पौधों के फलने-फूलने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। साथ ही अनेक प्रकार के जहरीले जीव-जंतु भी जंगल में घूमते हैं। इसलिए मानव जीवन की रक्षा और वर्षाकाल में वृक्षों को कटाई से बचाने के लिए ऐसे व्रत विधान धर्म के साथ जोड़े गए, ताकि वृक्ष भी फलें-फूलें और उनसे जुड़ी जरूरतों की अधिक समय तक पूर्ति होती रहे।

vat savitri vrat
3. वट वृक्ष ज्ञान व निर्माण का प्रतीक है। 
 
4. भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
 
5. वट एक विशाल वृक्ष होता है, जो पर्यावरण की दृष्टि से एक प्रमुख वृक्ष है, क्योंकि इस वृक्ष पर अनेक जीवों और पक्षियों का जीवन निर्भर रहता है।
 
6. इसकी हवा को शुद्ध करने और मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति में भी भूमिका होती है।
 
7. दार्शनिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व के बोध के नाते भी स्वीकार किया जाता है।
 
8. वट सावित्री में स्त्रियों द्वारा वट यानी बरगद की पूजा की जाती है।
 
9. इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है। वास्तु के अनुसार घर की पूर्व दिशा में बरगद का पेड़ होने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन घर पर इसकी छाया नहीं पड़ना चाहिए और घर की छाया इस पर नहीं पड़ना चाहिए।
 
10. वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
 
11. धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है।
 
12. वट पूजा से जुड़े धार्मिक, वैज्ञानिक और व्यावहारिक पहलू हैं। यह एक बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है, जिसे बरगद, 'वट' और 'बड़' भी कहते हैं। इस व्रत के व्यावहारिक और वैज्ञानिक पहलू पर गौर करें तो इस व्रत की सार्थकता दिखाई देती है। आज भी यह व्रत परंपरा के अनुसार मनाया जाता है।