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Last Updated : सोमवार, 11 अप्रैल 2022 (13:53 IST)

दीवारें खराब होंगी तो लाइफ का सपोर्ट सिस्टम होगा प्रभावित, वास्तु के अनुसार जानिए कैसी हो घर की दीवार

wall colors vastu
घर की दीवार कैसी होना चाहिए? किस दीवार पर कैसा हो दीवारों का रंग और दीवारों के रंगों के अनुसार ही घर के पर्दे, चादर और तकियों का रंग भी होना चाहिए। यदि आप इसका ध्यान रखते हैं तो आने वाली बहुत-सी परेशानियों से बच जाएंगे।
 
 
कैसी हो दीवार : दीवारे एकदम सपाट, साफ-सुधरी होना चाहिए। गंदी दीवार से तनाव, निराशा और नकारात्मकता का माहौल बन जाता है। दीवारों पर दाग-धब्बे लगाना दरिद्रता के सूचक हैं। घर की दीवार में दरारें नहीं होना चाहिए। रंग-रोगन उखड़ा हुआ नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा है तो जोड़ों में दर्द, गठियां, साइटिका, कमर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। घर के अंदर की दीवारों पर रंग या पेंट भी वास्तु अनुसार ही कराना चाहिए।। कहते हैं कि गहरा नीला या काला रंग वायु रोग, हाथ पैरों में दर्द पैदा कर देता है। नारंगी या गहरा पीला रंग ब्लड प्रेशर गड़बड़ा देता है। गहरा चटक लाल रंग रक्त विकार एवं दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसी तरह गहरा हरा रंग सांस, अस्थमा एवं मानसिक रोगों का कारण बन सकता है। 
 
दीवार की ऊंचाई : दीवार की ऊंचाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। भवन की बाहरी चारों दीवार की ऊंचाई मुख्य प्रवेशद्वार की ऊंचाई से तीन चौथाई अधिक होनी चाहिए। पश्चिम और दक्षिण दिशाओं की दीवारों की ऊंचाई उत्तर और पूर्व दिशाओं की दीवारों की तुलना में 30 सेमी. अधिक होनी चाहिए साथ ही ये दीवारें अधिक मोटी भी होनी चाहिए इससे सकारात्मक ऊर्जा चारदीवारी के अंदर के भूभाग में सुरक्षित रहेगी और दक्षिण-पश्चिम से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा बाहर ही रह जाएगी।
 
किस दिशा की दीवार का कैसा हो रंग :
 
1. उत्तर की दीवार :- घर का उत्तर का भाग जल तत्व प्रधान होता है। इसे धन और लक्ष्मी का स्थान भी कहा जाता है अत: इस स्थान को स्वच्छ, पवित्र और खाली रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार इसकी साज-सजा में हल्के हरे रंग या पिस्ता हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। हालांकि आप आसमानी रंग का प्रयोग भी कर सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यदि यहां अन्य किसी भी प्रकार के गहरे रंगों का प्रयोग किया तो आर्थिक हानि तो होगी ही, साथ ही अन्य परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं। यह दिशा हवा से जुड़ी है।
 
2. उत्तर-पूर्व की दीवार :- उत्तर-पूर्व को ईशान कोण कहते हैं। इस दिशा में देवता निवास करते हैं। यह भगवान शिव की दिशा भी मानी जाती है। इस दिशा में आकाश ज्यादा खुला होता है। इस दिशा की दीवार का रंग आसमानी, सफेद या हल्के बैंगनी रंग का होना चाहिए। हालांकि इसमें पीले रंग का प्रयोग इसलिए करना चाहिए, क्योंकि यह देवी और देवताओं का स्थान होता है।
 
3. पूर्व की दीवार :- पूर्व की दीवार पर सफेद या हल्का नीला रंग कर सकते हैं।
 
4. दक्षिण-पूर्व की दीवार:- घर का दक्षिण-पूर्व का भाग अग्नि तत्व का माना जाता है। इस स्थान की साज-सज्जा में नारंगी, पीले या सफेद रंग का प्रयोग उचित होता है। इसे आग्नेय कोण कहते हैं। यह किचन का स्थान है।
wall
wall according to vastu
5. दक्षिण की दीवार :- दक्षिण भाग में नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इससे स्फूर्ति और उत्साह बना रहेगा। यदि यहां शयन कक्ष है तो गुलाबी रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
 
6. दक्षिण-पश्चिम की दीवार :- दक्षिण-पश्चिम की दीवार या कक्ष को नैऋत्य कोण कहा जाता है। इसमें भूरे, ऑफ व्हाइट या भूरा या हरा रंग प्रयोग करना चाहिए।
 
7. पश्‍चिम :- पश्चिम की दीवार या कक्ष के लिए नीले रंग की सलाह दी जाती है। आप नीले रंग के साथ बहुत कम मात्रा में सफेद रंग का उपयोग भी कर सकते हैं। यह वरुणदेव का स्थान भी माना जाता है, जो जल के देवता हैं।
 
8. पश्‍चिम-उत्तर की दीवार :- इसे वायव्य कोण कहते हैं। वायव्य दिशा में बने ड्राइंग रूम में हलका स्लेटी, सफेद या क्रीम रंग का प्रयोग भी किया जा सकता है।
 
पुनश्च:- उत्तर- हरा, ईशान- पीला, पूर्व- सफेद, आग्नेय- नारंगी या सिल्वर, दक्षिण- नारंगी, गुलाबी या लाल, नैऋत्य- भूरा या हरा, पश्‍चिम- नीला, वायव्य- स्लेटी या सफेद।
 
रंगों पर जीवन पर असर :
 
1. पीला रंग सुकून व रोशनी देने वाला रंग होता है। घर के ड्राइंग रूम, ऑफिस आदि की दीवारों पर यदि आप पीला रंग करवाते हैं तो वास्तु के अनुसार यह शुभ होता है।
 
2. अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए आपको अपने कमरे की उत्तरी दीवार पर हरा रंग करना चाहिए।
 
3. आसमानी रंग जल तत्व को इंगित करता है। घर की उत्तरी दीवार को इस रंग से रंगवाना चाहिए।
 
4. घर के खिड़की दरवाजे हमेशा गहरे रंगों से रंगवाएं। बेहतर होगा कि आप इन्हें डार्क ब्राउन रंग से रंगवाएं।
 
5. जहां तक संभव हो सके घर को रंगवाने हेतु हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करें।
 
6.घर का उत्तर का भाग जल तत्व प्रधान होता है। इसे धन और लक्ष्मी का स्थान भी कहा जाता है अत: इस स्थान को स्वच्छ, पवित्र और खाली रखना चाहिए।
 
7. वास्तु के अनुसार इसकी साज-सजा में हल्के हरे रंग या पिस्ता हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। हालांकि आप आसमानी रंग का प्रयोग भी कर सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
 
8. यदि यहां अन्य किसी भी प्रकार के गहरे रंगों का प्रयोग किया तो आर्थिक हानि तो होगी ही, साथ ही अन्य परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं। यह दिशा हवा से जुड़ी है।
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