अग्नि का हमारे स्वास्थ्य, यश और संपन्नता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तु में अग्नि तत्व को ठीक से संचारित होने के लिए रसोईघर का आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में होना शास्त्रसम्मत माना जाता है।
यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो रसोईघर पूर्व में भी बनाया जा सकता है। रसोईघर (उत्तर-पूर्व) में भूल से भी नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है। साथ ही खान-पान का खर्चा भी कई गुना बढ़ सकता है और अपव्यय की स्थिति बन सकती है।
नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में भी रसोईघर अच्छा नहीं माना जाता है। इससे गृह कलह, परेशानी और दुर्घटना का भय बना रहता है। इसी प्रकार वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में स्थित रसोईघर भी न सिर्फ खर्च बढ़ाने वाला माना जाता है, बल्कि अग्नि दुर्घटना भी दे सकता है।
यदि किसी जातक की रसोई वायव्य कोण में हो और वहां घर की बहुएं काम करती हों तो उनका मन रसोई में नहीं लगेगा और वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती पाई जाएंगी।
इसलिए यदि आग्नेय कोण में रसोई की व्यवस्था न हो सके तो पूर्व या वायव्य कोण ठीक रहता है, लेकिन इस स्थिति में यह ध्यान रखना जरूरी होगा कि रसोई घर चाहे जहां हो, भोजन आग्नेय कोण में ही बने। इससे बिगड़े काम भी बन सकते हैं।
रसोई घर की स्लैब जिस पर चूल्हा रखा जाता है, वह पूर्व या आग्नेय कोण में हो तो अच्छा रहता है, क्योंकि ऐसे में रसोई में काम करने वाले का मुख स्वत: ही पूर्व दिशा की ओर होता है। पानी की टोंटियां, वॉश बेसिन, पीने का पानी आदि भी रसोईघर के ईशान कोण में हो तो अच्छा होता है। इसके अलावा फर्श का ढलान उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए और यदि फ्रिज रसोईघर में रखना हो तो उसे पश्चिम की दीवार के साथ रखना ठीक होता है। बिजली के उपकरण जैसे- मिक्सी, टोस्टर, ओवन आदि आग्नेय कोण या दक्षिण में रखने की सलाह दी जाती है।
रसोई का सामान रखने के लिए स्लैब, आलमारी आदि दक्षिण या पश्चिम में बनाना ठीक रहता है। दालें, अनाज और मसालों के भंडारण की व्यवस्था वायव्य कोण में करना चाहिए। रसोईघर की खिड़कियां बड़ी हों तो उत्तम होता है। इसके अलावा रसोईघर में प्राकृतिक रोशनी और हवा की व्यवस्था भी होना चाहिए। यदि किसी कारणवश प्राकृतिक रोशनी का अभाव हो तो कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था करने की सलाह दी जाती है।
रसोई में कार्य करते वक्त गृहिणी की पीठ रसोई के प्रवेश द्वार की ओर नहीं हो, तो बेहतर माना जाता है। गैस का चूल्हा ऐसे स्थान पर रखें, जहां पर कार्य करने वाले को पर्याप्त स्थान मिले। रसोई यदि छोटी हो तो उसमे हल्के रंग का पेंट करें। इसके लिए हल्का गुलाबी, नारंगी या हल्का पीला और सफेद रंग बेहतर रहता है।
चूल्हा तथा गैस स्टोव परिवार के धन और समृद्धि का द्योतक है इसलिए इसे हमेशा साफ रखने की सलाह दी जाती है अन्यथा आपकी समृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यहां तक कि आपके परिवार के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।
गैस का चूल्हा या स्टोव आदि घर के मुख्य द्वार के बाहर से नहीं दिखना चाहिए। यदि आपके घर में ऐसा हो रहा हो तो इसे छिपाने के लिए हल्का-सा पर्दा लगाना श्रेयस्कर होता है। रसोईघर किसी भी कीमत पर टॉयलेट के ऊपर या नीचे तथा सीढ़ियों आदि के नीचे नहीं बनाना चाहिए। ऐसे रसोईघर स्वास्थ्य पर तो बुरा असर डालते ही हैं, साथ ही धन और भाग्य को भी दुष्प्रभावित करते हैं।
रसोईघर में पानी और अग्नि को एकसाथ रखना विरोधाभासी स्थितियों को जन्म देता है। इस स्थिति में घर की स्त्री, जिसे रसोई में रहना ही होता है, का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और घर में दैनिक कलह की स्थिति बन सकती है।
इसी प्रकार फ्रिज की ठंडक का गैस चूल्हे से सामना या कपड़े धोने की मशीन का चूल्हे से एक सीध में होना या पानी की टंकी का गैस चूल्हे के सामने होना भी ऐसी ही स्थिति पैदा कर सकता है।
इसका एकमात्र सरल उपाय जल या अग्नि में से किसी एक का स्थान परिवर्तन करना है। यदि ऐसा करना संभव न हो तो कम से कम फ्रिज या वॉशिंग मशीन का मुख अलग-अलग दिशा में कर लेने की सलाह दी जाती है।