सभी घरों में भगवान गणेशजी की एक मूर्ति होती है। कई घरों में एक से ज्यादा होती है। गणेशजी की मूर्ति खरीदते वक्त कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। आओ जानते हैं कि घर में सजी भगवान गणेशजी की मूर्ति वास्तु अनुसार किस प्रकार की होना चाहिए।
1. मूर्ति का रंग : गणेशजी के प्रत्येक अवतार का रंग अलग अलग है परंतु शिवपुराण के अनुसार गणेशजी के शरीर का मुख्य रंग लाल तथा हरा है। इसमें लाल रंग शक्ति और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसका आशय है कि जहां गणेशजी हैं, वहां शक्ति और समृद्धि दोनों का वास है। आत्म-विकास या सर्व मंगल की कामना करने वालों के लिए सिंदूरी रंग के गणपति की स्थापना करना चाहिए। धन समृद्धि की चाह रखने वाले पीले रंग की मूर्ति में हरे रंग के उपयोग वाली मूर्ति रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, सफेद रंग की गणेश मूर्ति उन लोगों के लिए है जो शांति और समृद्धि चाहते हैं।
2. मूर्ति की विशेषता : मूर्ति में उनके बाएं हाथ की ओर सूंड घुमी हुई हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। गणेशजी को मोदक पसंद है और उनका वाहन मूषक अतिप्रिय है अत: ध्यान रखें कि मूर्ति में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य होना चाहिए। गणेशजी की चार भुजाएं हैं- पहले हाथ में अंकुश, दूसरी भुजा में पाश, तीसरी भुजा में मोदक और चौथी भुजा से वे आशीर्वाद दे रहे हैं। घर में पंचमुखी मूर्ति रखने के पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
3. मूर्ति का आकार : शास्त्र अनुसार पूजा घर में रखी जाने वाली देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का आकार 3 इंच से ज्यादा नहीं होना चाहिए या हमारे अंगूठे की लंबाई के बराबर ही मूर्तियां रखना चाहिए। अंगूठा आकार से बड़ी मूर्तियां घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए। बड़ी मूर्तियों की पूजा में कई नियमों का पालन करना होता है। इनकी पूजा में त्रुटि होना अशुभ माना जाता है और पुण्य लाभ भी प्राप्त नहीं हो पाता है। हालांकि गणेशजी की मूर्ति आप कम से कम एक फीट की रखे सकते हैं।
4. कितनी रखें मूर्तियां :
श्लोक...
गृहे लिंगद्वयं नाच्यं गणेशत्रितयं तथा।
शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यो शक्तित्रयं तथा॥
द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्राम शिलाद्वयम्।
तेषां तु पुजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही॥
अर्थात:- घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है।
5. स्थापना की दिशा : वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार घर में गणेश की मूर्ति रखने के लिए पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा सबसे अच्छी जगह है। याद रखें, सभी गणेश प्रतिमाओं का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।