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Written By हिमा अग्रवाल
Last Updated : शनिवार, 3 जुलाई 2021 (22:34 IST)

UP Zila Panchayat Results ground Zero report : यूपी पंचायत चुनाव में सत्ता पक्ष ने लहराया परचम, दिखा धनबल, बाहुबल और सत्ताबल का प्रदर्शन

UP Zila Panchayat Results ground Zero report : यूपी पंचायत चुनाव में सत्ता पक्ष ने लहराया परचम, दिखा धनबल, बाहुबल और सत्ताबल का प्रदर्शन - UP Zila Parishad Election Results
इस बार भी जिला पंचायत चुनावों में वही हुआ जो इससे पहले होता आया है और हर बार पहले से ज्यादा होता है। धनबल, बाहुबल और सत्ताबल पंचायत चुनावों की पहचान बन चुके हैं। इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि 2016 में समाजवादी पार्टी ने उत्तरप्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 सीटों में से 53 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार भाजपा ने 67 सीटों पर अपनी पताका फहराई है, जिनमें 2 भाजपा समर्थित प्रत्याशी शामिल हैं।

योगी राज में यह करिश्मा तब हुआ है जब पंचायत सदस्यों में सबसे ज्यादा सीटें सपा ने जीतीं थीं, इसलिए एयरकंडीशंड कमरों में बैठने वाले यह मान कर चल रहे थे कि ज्यादातर पंचायत अध्यक्ष सपा के ही बनेंगे लेकिन नामांकन के दौरान ही यह साफ होने लगा था कि तस्वीर कैसी होगी?
 
ग्राम स्वराज का सपना देखने वालों को यह उम्मीद कभी नहीं रही होगी कि सत्ता को देश के सबसे आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने का ऐसा हश्र होगा। महात्मा गांधी के सुराज में पंचायत और ग्राम गणराज्य शामिल थे ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सके।

गांधी के इस सपने को पूरा करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ग्राम पंचायतों को मजबूत करने की ऐतिहासिक पहल की। 2 अक्टूबर 1959 को गांधी जयंती के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंचायती राज की नींव रखी थी लेकिन उस नींव पर भवन का निर्माण राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में शुरू हुआ। उन्होंने ही अथक परिश्रम कर पंचायती राज व्यवस्था का प्रस्ताव तैयार कराया।

वे देश के अब तक भी ऐसे इकलौते प्रधानमंत्री थे जिन्होंने शीर्ष पद पर रहते हुए सार्वजनिक रूप से कहा कि 1 रुपया जब केंद्र से विकास के लिए चलता है तो वह बीच में ही गायब होता जाता है और मंजिल तक 15 पैसे में बदल जाता है। राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिंह राव सरकार ने 73वें सविंधान संशोधन के बाद पूरा किया, जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ।

इस संशोधन के लागू होने के बाद ही देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हो सकी और राज्यों को पंचायत चुनाव कराने के लिए बाध्य होना पड़ा। पंचायती चुनाव तो होने लगे लेकिन ग्राम स्वराज का सपना और लोकतंत्र दबंगों की दासी बनकर रह गया। 2021 के उत्तरप्रदेश पंचायत चुनावों में भी ग्राम सुराज का चेहरा और बदरूप हुआ। चांद में धब्बे और ज्यादा नजर आए। 
 
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनावों के लोकतंत्र को आप इसी से समझ सकते हैं कि 75 में से 22 सीटों पर निर्विरोध जिलाध्यक्ष चुने गए, जिनमें से 21 भाजपा और एक सपा का था। कई जगह प्रत्याशियों के नामांकन पत्र तकनीकी आधार पर खारिज कर दिए गए। बागपत में इस बार रालोद की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई है जबकि उन्हें चुनाव मैदान से बाहर कर दिया गया था। प्रशासन/चुनाव अधिकारी ने बताया था कि रालोद प्रत्याशी ममता जयकिशोर ने पर्चा वापस ले लिया है जबकि ऐसा नहीं हुआ था।

चुनाव कार्यालय में चुनाव मैदान से हटने का आधिकारिक पत्र भी फाइलों में लगा दिया गया लेकिन जब ममता जयकिशोर ने इसे गलत बताया तो हंगामे के बाद उन्हें प्रत्याशी मान लिया गया। सवाल उठता है कि उनको चुनाव मैदान से हटाने और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित करने का खेला किसके इशारे या दबाव में हुआ। आज चुनाव परिणाम आने पर ममता जयकिशोर ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार को परास्त कर दिया। रालोद के गढ़ में पहले स्वर्गीय अजित सिंह और फिर उनके बेटे जयंत को भाजपा ने शिकस्त दी थी।


वहां से दोनों लोकसभा चुनावों में पूर्व आईपीएस और मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे सतपाल सांसद निर्वाचित हुए थे। मेरठ में तो विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी सलोनी गुर्जर का प्रस्तावक ही गायब हो गया जिसकी वजह से उनका पर्चा खारिज हुआ और भाजपा प्रत्याशी गौरव चौधरी निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए। आप इससे अंदाजा लगाइए कि प्रतापगढ़ से राजा भैया की पार्टी जीती लेकिन उन्होंने भी भाजपा पर मतपेटी छीनने के आरोप लगाए जबकि भाजपा प्रत्याशी ने कलेक्टर और पुलिस कप्तान पर ही राजा भैया की मदद करने का आरोप लगा दिया। लोग इसे सूबे में चल रही ठकुराई कह रहे हैं।
 
 पूरे प्रदेश में चुनाव के दौरान पंचायत सदस्यों के लापता हो जाने, पुलिस द्वारा लठियाये जाने, प्रशासन के धमकाए जाने के साथ विरोध प्रदर्शन और हंगामे चलते रहे और वोटर यानी पंचायत सदस्यों के मतदान स्थल तक न पहुंचने देने के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे लेकिन जो परिणाम सामने आया उसे एक नज़र देख लें- मतदान के बाद कौन कहां से जीता।
 
चंदौली - दीनानाथ शर्मा BJP
हापुड़ - नागर BJP
सुल्तानपुर -उषा सिंह BJP
मिर्जापुर - राजू कन्नौजिया BJP
रायबरेली -रंजना चौधरी BJP
मथुरा -किशन चौधरी BJP
फिरोजाबाद - हर्षिता सिंह BJP
बिजनौर-साकेन्द्र प्रताप सिंह BJP
बागपत- ममता जयकिशोर, RLD
हमीरपुर -जयंती राजपूत BJP
मुजफ्फरनगर -वीरपाल निर्वाल BJP
सोनभद्र - राधिका पटेल (अपना दल (S)
बलिया -आनंद चौधरी
गाजीपुर - सपना सिंह BJP
उन्नाव - शकुन सिंह BJP
हरदोई- प्रेमावती BJP
कुशीनगर - सावित्री जायसवाल BJP
मैनपुरी- अर्चना भदौरिया BJP
प्रतापगढ़- जनसत्ता पार्टी से माधुरी पटेल
कन्नौज - प्रिया शाक्य BJP
जालौन - घनश्याम अनुरागी BJP
महाराजगंज- रविकांत पटेल BJP
संतकबीर नगर - बलराम यादव (सपा)
लखीमपुर- ओमप्रकाश भार्गव BJP
बदायूं - वर्षा यादव BJP
प्रयागराज- डॉ. वीके सिंह BJP
अमेठी - राजेश अग्रहरि BJP
भदोही- अमित सिंह BJP
बाराबंकी- राजरानी रावत BJP
फर्रुखाबाद - मोनिका यादव BJP
संभल - अनामिका BJP
बस्ती- संजय चौधरी BJP
फतेहपुर - अभय प्रताप उर्फ पप्पू सिंह BJP
शामली- मधु गुज्जर BJP
अलीगढ़- विजय सिंह BJP
जौनपुर- निर्दलीय श्रीकला सिंह
कासगंज- रत्नेश कश्यप BJP
आजमगढ़- विजय यादव सपा
सिद्धार्थनगर- शीतल सिंह BJP
एटा- रेखा यादव सपा
अयोध्या- रोली सिंह मैदा BJP
रामपुर- ख्याली राम लोधी BJP
सीतापुर - श्रद्धा सागर BJP
औरैया- कमल दोहरे
महोबा - जयप्रकाश अनुरागी
फतेहपुर - अभय प्रताप सिंह
कानपुर - स्वप्निल वरुण BJP
कानपुर देहात - नीरज रानी सिंह BJP
अम्बेडकर नगर - श्याम सुंदर BJP
बरेली- रश्मि पटेल BJP
कौशाम्बी - कल्पना सोनकर BJP
हाथरस- सीमा उपाध्याय BJP
देवरिया- गिरीश चंद तिवारी BJP
लखनऊ - आरती रावत BJP
 
21 जिले जहां भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए--
 
मेरठ- गौरव चौधरी
गाजियाबाद- ममता त्यागी
गौतमबुद्धनगर- अमित चौधरी
बुलंदशहर- डॉक्टर अंशुल तेवतिया
सहारनपुर- मांगेराम
आगरा- आरती भदौरिया
मुरादाबाद- डॉक्टर शेफाली चौहान
अमरोहा- ललित सेंगर
शाहजहांपुर- ममता यादव
पीलीभीत- दलजीत कौर
गोरखपुर- साधना सिंह
गोंडा- घनश्याम मिश्रा
बलरामपुर- आरती त्रिपाठी
बहराइच- मंजु सिंह
श्रावस्ती- दद्दन मिश्रा
वाराणसी- पूनम मौर्या
मऊ- मनोज राय
झांसी- पवन गौतम
ललितपुर- कैलाश निरंजन
बांदा- सुनील पटेल
चित्रकूट- अशोक जाटव
एक सीट जहां से सपा प्रत्याशी निर्विरोध जीते
इटावा- अंशुल यादव।
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