UP : भविष्यनिधि घोटाले में दाऊद इब्राहीम का नाम, अखिलेश यादव ने पूछा- यह रिश्ता क्या कहलाता है
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के लखनऊ में भविष्यनिधि घोटाले का ठीकरा जहां एक तरफ प्रदेश में भाजपा सरकार पूर्व सरकार समाजवादी पार्टी के ऊपर फोड़ने का काम कर रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी भी भाजपा को बक्शने के मूड में नजर नहीं आ रही है। भविष्यनिधि घोटाले में अंडरवर्ल्ड दाऊद इब्राहीम को लेकर भाजपा और समाजवादी पार्टी एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं।
इसी के चलते उत्तरप्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बिजली विभाग में हुए भविष्य निधि घोटाले का ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ऊपर फोड़ा। उन्होंने कहा कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (डीएचएफसीएल) में बिजलीकर्मियों के जीपीएफ, सीपीएफ की धनराशि लगाने का रास्ता अखिलेश सरकार ने साफ किया था। अब आप खुद ही समझ जाएं यह घोटाला किसकी सरकार में हुआ।
इस घोटाले को करने का रास्ता तो पिछली सरकार ने साफ किया था। ऊर्जा मंत्री यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि उन्हीं की पार्टी के प्रवक्ता दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी को भगोड़ा आतंकी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बता रहे हैं। अब ऐसे में अखिलेश यादव बताएं कि दाऊद की कंपनी से उनके क्या संबंध है?
अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को जवाब देते हुए कहा है कि मेरे ऊपर राजनीतिक द्वेष भावना के चलते आरोप लगाया जा रहा है जबकि भ्रष्टाचार में डूबी सरकार के सत्ताधारी लोग नए नए बहाने जनता का ध्यान भटकाने के लिए निकाल रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि सवाल पूछा है कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से भाजपा को 20 करोड़ का चंदा मिला था। अब ऊर्जा मंत्री बताएं कि यह रिश्ता क्या कहलाता है।
यादव ने कहा कि इतना बड़ा घोटाला ढाई साल तक पर्दे में क्यों रहने दिया गया? मामला मीडिया में न आता तो भाजपा सरकार इसे दबाए रहती। अभी भी लगता नहीं कि वह अपने घोटाले की जांच होने देगी?
जब मामला सीबीआई को देने की बात है तो फिर आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को जांच क्यों दी जा रही है? उन्होने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में विकास कार्यों की एक-एक ईंट उखाड़ कर गड़बड़ी खोजने वाले भाजपाई शूरवीर ढाई साल तक तो कुछ खोज नहीं पाए अब अपनी कालिख वाली छवि बचाने के लिए दूसरों पर कीचड़ उछालने की नाकाम कोशिश करने में लग गए हैं।
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर घी पीने वाली भाजपा का असली चाल-चरित्र जनता के सामने आ रहा है। लोकतंत्र लोकलाज से चलता है लेकिन भाजपा सरकार इससे दूर-दूर रहती है। भाजपा बौखलाहट में जैसी भाषा बोल रही है वह हास्यास्पद और संवैधानिक मर्यादा के विपरीत है।