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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 27 जून 2020 (12:30 IST)

UP Board 10th,12th Result 2020 : कोरोना काल में बोर्ड रिजल्ट के बाद बच्चों को तनाव और डिप्रेशन से बचाने के लिए पैरेंट्स रखें इन बातों का ध्यान

रिजल्ट जैसा भी हो, बच्चों से संवाद बना कर रखें पैरेंट्स : मनोचिकित्सक

UP Board 10th,12th Result 2020 : कोरोना काल में बोर्ड रिजल्ट के बाद बच्चों को तनाव और डिप्रेशन से बचाने के लिए पैरेंट्स रखें इन बातों का ध्यान - UP Board Result : Parents should  keep these things in Mind after Board Result
कोरोना काल में लंबे इंतजार के बाद देश के सबसे बड़े यूपी बोर्ड के 10 वीं और 12 वीं बोर्ड के रिजल्ट घोषित हो चुके है। देश के साथ एशिया के सबसे बड़े यूपी बोर्ड की इस साल की परीक्षा में 52 लाख से अधिक छात्र शामिल हुए थे। कोरोना के चलते इस बार छात्रों को फिलहाल डिजिटल मार्कशीट दी जाएगी और इसके आधार पर स्टूडेंट आगे एडमिशन ले सकेंगे। इस बार यूपी बोर्ड की हाईस्कूल (10 वीं) की परीक्षा में 83.31 फीसदी छात्र पास हुए वहीं इंटरमीडियट में 74.63 फीसदी छात्र पास हुए है।

यूपी बोर्ड रिजल्ट को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि परीक्षा और परीक्षाफल आत्म विश्लेषण का माध्यम मात्र हैं इसलिए प्रत्येक परीक्षाफल को सहजतापूर्वक स्वीकार करना ही श्रेष्ठ है। 
 
परीक्षा परिणाम को लेकर स्टूडेंट में आमतौर पर तनाव बहुत देख जाता हैं, ऐसे में जब मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिलने से जब तनाव एक स्तर से उपर बढ़ जाता है तब बच्चे डिप्रेशन में चले जाते है। ऐसे में बेहद जरूरी हैं कि रिजल्ट के बाद बच्चों के तनाव को कम किया जाए। 
 
'वेबदुनिया' से बातचीत में मनोचिकित्सक और काउंसलर डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कोरोना काल में सामान्य तौर पर हम सभी किसी न किसी तरह एक डिप्रेशन के वातावरण से घिरे हुए है, ऐसे में अब जब बोर्ड के रिलज्ट आने शुरू हो गए तो हमको बच्चों पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। 
 
इस बार परिस्थितियां हर साल की अपेक्षा अधिक चुनौतीपूर्ण और अलग है, कोरोना और लॉकडाउन के चलते बच्चे काफी लंबे समय से घरों में ही हैं और वह अपने दोस्तों से भी नहीं मिल पा रहे है जहां वह खुलकर अपने मन की बात कह कर अपने को हल्का महसूस करते थे। सामान्य तौर पर इस उम्र में बच्चें अपने माता पिता से भी खुलकर अपनी बातें नहीं कह पाते या संकोच करते है, ऐसे में अब जब रिजल्ट आने शुरु हो गए तब माता-पिता की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है। 
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि सामान्य तौर पर रिजल्ट को लेकर बच्चों के मन एक अलग तरह की एंजाइटी होती है और वह अपने नंबरों और परसेंटेज को लेकर बहुत अधिक चिंतित होते हैं और अचानक से बच्चों में अनिद्रा और घबराहट की शिकायतें बहुत बढ़ जाती है। ऐसे में पैरेटेंस की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है और उनको बच्चों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। 
 
'वेबदुनिया' से बातचीत में डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि कोरोना काल में अब जब रिजल्ट आने लगे हैं तब जब बच्चा पहले से ही तनाव में है तो उससे संवाद बनाए रखना बेहद जरूरी है। हर बच्चे की अलग-अलग क्षमता और आईक्यू है ऐसे में रिजल्ट को लेकर पैरेंट्स कोई दबाव नहीं बनाए। ऐसे एक नई हजारों उदाहरण हैं तब 10 वीं और 12 वीं बोर्ड में औसत नंबर लाने वाले स्टूडेंट अपने जीवन में बहुत सफल हुए है। 
 
काउंसलर डॉक्टर सत्यकांत बच्चों को सलाह देते हुए कहते हैं कि रिजल्ट को लेकर दबाव में आने की जरूरत नहीं है। एग्जाम में आने वाले परसेंट या नंबर एक मानव निर्मित क्राइटेरिया है और जो रिजल्ट आया है उसको एक्सेप्ट करें। बच्चों को अपने आगे के करियर के लिए अपने सीनियर और टीचरों से लगातार संपर्क में रहना चाहिए।
 
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि कोरोना काल का सीधा असर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है और ऐसे बच्चे जो 12 वीं की परीक्षा दे रहे थे और अपने कॉरियर को प्लान कर रहे थे उन पर बहुत निगेटिव प्रभाव पड़ा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते मेडिकल, इंजनियिरिंग के एंट्रेस एग्जाम लगातार टलते जा रहे हैं और यूनिवर्सिटीज में एडमिशन की प्रकिया भी लेट है ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों से आगे के करियर को लेकर संवाद बनाए रखना बेहद जरुरी है।      
 
 
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