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Last Modified: मंगलवार, 30 जून 2020 (15:42 IST)

यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार कर रही है कांग्रेस

यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार कर रही है कांग्रेस - congress UP assembly election
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तीन दशक से भी ज्यादा समय से सत्ता से बाहर कांग्रेस जिस तरह राज्य सरकार की लगातार आलोचना कर रही और हर मुद्दे पर सड़कों पर उतर रही है ,उससे लगता है कि पार्टी विधानसभा के अगले चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती देने का मन बना चुकी है।
 
पेट्रोल डीजल के दामों पर बढोत्तरी को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन किया और गिरफ्तारी दी ।इसके अलावा पुलिस ने समान नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ पिछले 19 दिसंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शाहनवाज आलम को गिरफ्तार किया था, जिसका विरोध जताने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ देर रात थाने पहुंच गईं और गिरफ्तारी को गलत बताया। कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की हाथापाई भी हुई।
 
कांग्रेस अपनी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में पार्टी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जोर-शोर से लगी है और हो रहा आंदोलन संभवत: उसी को देखकर किया जा रहा है। 
 
कांग्रेस आंदोलन नहीं करने वाले दूसरे दलों को भी आड़े हाथों ले रही है। अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी पर प्रियंका गांधी ने कहा कि पार्टी जनता की आवाज उठाती रहेगी। दमन को औजार बनाकर दूसरी पार्टी को तो रोका जा सकता है, लेकिन कांग्रेस को नहीं।
 
उन्होंने परोक्ष रूप से बसपा की प्रमुख मायावती पर भी हमला बोला और उन्हें भाजपा का प्रवक्ता तक बता दिया। प्रियंका वाड्रा ने कहा कि विपक्ष के कुछ नेता भाजपा के अघोषित प्रवक्ता बन गए हैं, जिसका मायावती ने कड़ा विरोध किया और कांग्रेस को चेतावनी दी कि वो ऐसा बोलने से बाज आए। बसपा हमेशा देश हित के मामले में केंद्र सरकार के साथ खड़ी रही है। केंद्र में चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की। कांग्रेस के कार्यकाल में भी पार्टी ने देश हित का खयाल रखते हुए सरकार का साथ दिया था। क्या बसपा उस वक्त कांग्रेस की प्रवक्ता थी? अभी चीन के साथ सीमा पर विवाद के कारण भी बसपा केंद्र सरकार के साथ है।
 
बसपा ने कभी भी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा। हां, कांग्रेस के साथ बसपा 1996 का विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है। मतलब कांग्रेस, केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार के साथ अन्य पार्टियों से भी पंगे ले रही है। बसपा को अपने आलोचना के दायरे में लाकर कांग्रेस भी अन्य विपक्षी दलों की तरह अकेले चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है।
 
समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ पिछला विधानसभा चुनाव लड़कर के मुंह की खा चुकी है जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन में उसे लंबा घाटा उठाना पड़ा था। लोकसभा के 2014 के चुनाव में बसपा का खाता नहीं खुला था जबकि इस बार उसे 10 सीटें मिल गईं और सपा की सीट 2014 की तरह 5 ही रहीं। 
 
कांग्रेस यह जानती है कि सपा इस बार उसके साथ चुनाव में गठबंधन तो क्या सीटों का तालमेल भी नहीं करेगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी, लेकिन कुछ छोटे दलों के साथ तालमेल कर सकती है।
 
बसपा प्रमुख मायावती की आलोचना कर प्रियंका गांधी ने खाई को और ज्यादा बढ़ा लिया है। राजनीति में कब क्या होगा ,इस पर कुछ कहा तो नहीं जा सकता लेकिन अभी तो संभावना यही कि कांग्रेस को बसपा से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलने जा रही।
 
प्रियंका का पुलिस पर आरोप : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर दमनकारी कारवाई करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है।
 
श्रीमती वाड्रा ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता जनता के मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश पुलिस को दमन का औज़ार बनाकर दूसरी पार्टियों को आवाज उठाने से रोक सकती है, हमारी पार्टी को नहीं। देखिए किस तरह यूपी पुलिस ने हमारे अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष को रात के अंधेरे में उठाया। पहले फर्जी आरोपों को लेकर हमारे प्रदेश अध्यक्ष को चार हफ़्तों के लिए जेल में रखा।
 
उन्होंने कहा कि पुलिस दमनकारी कारवाई करे और फर्जी मुकदमो में फंसाए लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये पुलिसिया कार्रवाई दमनकारी और आलोकतांत्रिक है। कांग्रेस के सिपाही पुलिस की लाठियों और फर्जी मुकदमों से नहीं डरने वाले। (वार्ता)