International Migrants Day: क्या है विश्व प्रवासी दिवस मनाने के पीछे वजह, क्या है इतिहास?
हर साल 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को इस बात के लिए शिक्षित करना है कि हर प्रवासी का सम्मान के साथ व्यवहार करना मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।
दुनिया में लोगों का अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर किसी वजह से बसने को अंतरराष्ट्रीय प्रवसन कहते हैं।
ऐसे लोगों को ही प्रवासी कहा जाता है। प्रवासी अपना आवास हमेशा के लिए छोड़कर दूसरी जगह या दूसरे देश में अपने घर बनाते हैं। दूसरे देशों में जाकर बसने वालों के अंतरराष्ट्रीय प्रवासी कहते हैं।
यह दिन अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। पिछले दो साल से कोविड-19 महामारी के चलते प्रवासियों को दुनिया भर में भारी संकट का सामना करना पड़ा। प्रवसन एक बहुत बड़ी समस्या है जिसमें सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक पहलू निहित हैं इस पर दुनिया में अलग अलग स्तर पर अलग तरह की प्रतिक्रियाएं होती है।
क्या है इतिहास?
18 दिसंबर 1990 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी प्रवासियों के अधिकारों और उनके परिवारों को संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को अपनाया। 4 दिसंबर 2000 को महासभा ने दुनिया में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
इस दिन को मनाते समय प्रवसन को लेकर द्विपक्षीय, स्थानीय और वैश्विक स्तर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को मजबूत बनाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। लोगों के प्रवसन के पीछे बहुत सारे कारक एक साथ काम करते हैं। इसमें स्वेच्छा से लेकर प्राकृतिक आपदा, आर्थिक चुनौती, चरम गरीबी और विवादित संघर्ष शामिल हैं। साल 2020 में करीब 28.1 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी थे, जो वैश्विक जनसंख्या का 3.6 प्रतिशत है।
साल 2021 की अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस की थीम, मानव गतिशीलता की क्षमता का दोहन है। अतरराष्ट्रीय प्रवासी संगठन का कहना है कि प्रवासी अपने ज्ञान, नेटवर्क और कार्यकुशलता से एक मजबूत समुदाय बनाते हैं। एक आदर्श वैश्विक सामाजिक और आर्थिक माहौल प्रवासियों की समस्याएं, चुनौतियों के साथ ही उनके लिए अवसरों संबंधी लिए गए प्रभावशील फैसलों से ही बन सकता है।