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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022 (14:23 IST)

उत्तरप्रदेश में सत्ता वापसी के लिए अखिलेश यादव का खास फॉर्मूला!

उत्तरप्रदेश में सत्ता वापसी के लिए अखिलेश यादव का खास फॉर्मूला! - Akhilesh Yadav special formula to return to power in Uttar Pradesh elections!
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में कहा जा रहा है कि इस बार सीधा मुकाबला सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी में है। चुनाव में सपा की पूरी बागडोर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभाल रखी है। 41 साल के अखिलेश जो 2012 से 2107 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है इस बार सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंके हुए है। आखिर अखिलेश यादव किस तरह के फॉर्मूले पर चलकर सत्ता में वापसी की राह तलाश रहे है इसको समझऩे के लिए पढ़ें यह खास खबर।
 
1-छोटे दलों के साथ गठबंधन-उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी इस बार कई छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान है। सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया है तो पूर्व उत्तर प्रदेश में अति  पिछड़ा समुदाय के वोट बैंक को टारगेट करने के लिए ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाजपार्टी के साथ गठबंधन किया है। राजभर समुदाय से आने वाले पूर्वांचल वोटरों को साधने में सुभासपा गठबंधन बड़ी भूमिका निभा सकता है। इसके साथ महान दल, भारतीय वंचित पार्टी, जनता क्रांति पार्टी, राष्ट्र उदय पार्टी और अपना दल (कमेरावादी) शामिल हैं। ये पार्टियां अभी जाति विशेष में अपनी पकड़ के कारण चुनाव में असरदार साबित होती हैं।
 
इसके साथ 2017 की हार से सबक लेते हुए अखिलेश यादव ने इस बार चाचा शिवपाल यादव को भी अपने साथ ले लिया है और शिवपाल की पार्टी प्रगितशील समाजवादी पार्टी (PSP) सपा के साथ है।
2-पारंपरिक के साथ जातिगत पॉलिटिक्स-उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अखिलेश की नजर समाजवादी पार्टी के पारंपरिक वोटरों के साथ-साथ गठबंधन के सहारे जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश है। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा के साथ ही अखिलेश ने महान दल के साथ हाथ मिलाया है। इसका प्रभाव बरेली, बदायूं और आगरा क्षेत्र के सैनी, कुशवाहा शाक्य के बीच है। इसके अलावा सपा ने जनवादी पार्टी को भी अपने साथ ले लिया है।
 
राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल और जनवादी पार्टी जैसे छोटे दल राज्य के विभिन्न हिस्सों में जातिगत और समुदाय विशेष के वोटरों को साधने में अपना प्रभाव रखती है। इसके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन कर अखिलेश ने जाट वोटरों को अपने साथ करने की कोशिश की है।
 
वहीं उत्तर प्रदेश में चुनाव की तरीकों का एलान होने के बाद पिछड़ा वर्ग से आने वाले कई बड़े नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे भाजपा सरकार में मंत्री रहे भी शामिल रहे। वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अखिलेश ने इन चुनाव में पश्चिमी उत्तरप्रदेश में जयंत चौधरी की पार्टी के साथ गठबंधन किया तो पूर्वांचल में वोटरों को साधने के लिए ओम प्रकार राजभर के साथ हाथ मिलाया। अखिलेश यादव की कोशिश है कि एंटी इंकम्बेंसी विरोधी वोटों का पूरा फायदा उठाने की है और उसना जनाधार बढ़े और पार्टी जहां कम वोटों से हारी थी उस पर जीत सके। 
3-एंटी इनकंबेंसी फैक्टर अखिलेश के साथ-उत्तरप्रदेश में सत्तारूढ दल भाजपा को जिस एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का नुकसान उठाना पड़ रहा है वह समाजवादी पार्टी के साथ है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे है कि यूपी चुनाव में इस बार सीधा मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच ही है। उत्तरप्रदेश की वर्तमान सियासी परिदृश्य में समाजवादी पार्टी अपने को योगी सरकार के विकल्प के तौर पर देख रही है और वह योगी सरकार के खिलाफ मौजूदा एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का पूरा फायदा उठाने की कोशिश में है। 
4-मुस्लिम वोटर अखिलेश का ट्रंपकार्ड-उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश की नजर 20 फीसदी वोट बैंक वाले मुस्लिम वोटरों पर टिकी हुई है। अखिलेश इस वोट बैंक को अपना ट्रंपकार्ड मान रहे है। उत्तरप्रदेश में मुस्लिम वोटरों में सपा की अच्छी पकड़ मानी जा रही है है। अखिलेश यादव यूपी चुनाव में 20 फीसदी मुस्लिम वोटर और 10 फीसदी यादव वोटरों के एमवाई समीकरण के सहारे सत्ता में वापसी की राह देख रहे है। अखिलेश मुस्लिम और यादव को अपना कोर वोट बैंक मानने के साथ इसमें पिछड़ा वर्ग के वोट को जोड़ने की कोशिश कर रहे है।
 
5-‘काम बोलता है’ पर फिर दांव-2022 के विधानसभा चुनाव  में अखिलेश यादव भाजपा सरकार के पिछले 5 साल के कामकाज की तुलना अपनी पांच साल के कामकाज से कर रहे है। अखिलेश लोगों को बता रहे है कि विकास के जितने काम सपा सरकार में हुए उतने भाजपा सरकार में नहीं हुए। अखिलेश पूर्वांचल एक्सप्रेस वे सहित भाजपा सरकार के समय हुई अन्य योजनाओं को क्रेडिट अपनी सरकार को देते हुए कहते हैं कि इन सभी की शुरुआत सपा सरकार के समय हुई थी।  
 
वहीं यूपी चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने ‘समाजवादी वचन पत्र’ के नाम से पार्टी का घोषणापत्र जारी कर दिया है। इसमें 22 के चुनाव में 22 संकल्प के तहत पार्टी ने प्रमुख रुप से महिला सशक्तीकरण के लिए किए गए वादे का जिक्र करते हुए सरकार बनने पर महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही है। इस व्यवस्था के तहत सभी वर्गों-सामान्य, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
 
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