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जात-पात और विकास में से किसी एक को चुनेंगे जौनपुर के बाशिंदे

जात-पात और विकास में से किसी एक को चुनेंगे जौनपुर के बाशिंदे - Uttar Pradesh assembly election 2017, Jaunpur
जौनपुर। सड़क, पेयजल, बिजली और उद्योगों की बदहाली जैसी तमाम ज्वलंत समस्याओं का  सामना कर रहे जौनपुर के बाशिंदे 8 मार्च को पोलिंग बूथ पर अपने नए खेवनहार की तलाश  करने जाएंगे तो उनके जेहन में जात-पात की बजाय विकास कराने का दमखम रखने वाले और  मजबूत इच्छाशक्ति वाले जनप्रतिनिधि का चेहरा सामने होगा।
एक जमाने में कन्नौज के बाद इत्र नगरी के तौर पर माने जाने वाले जौनपुर में फूलों की खेती  बहुतायत में होती थी। दुर्लभ प्रजाति के फूलों के खेत दूर-दूर तक दिखाई पड़ते थे। इसके अलावा  जौनपुर की मूली दुनियाभर में अब भी मशहूर है। देश की गौरवगाथा में जौनपुर के रणबांकुरों  का नाम आज भी बड़ी शिद्दत के साथ लिया जाता है।
 
आजादी के बाद से अब तक प्रदेश में कई सरकारें आईं और गईं। चुनावी मौसम में जिले के  विकास के तमाम दावे किए गए, मगर जिले की सीमा में दाखिल होते ही गड्ढे से भरपूर सड़कें, 
बजबजाते नाले, सरकारी नलों से टपकता बदबूदार पानी और अंधियारे गांव यहां राजनीतिक दलों  के दावों की कलई खोलने को काफी हैं।
 
वर्ष 2012 में जौनपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से 7 पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने  विजय हासिल की थी जबकि भाजपा और कांग्रेस के खाते में 1-1 सीट गई थी। सपा सरकार में  पारसनाथ यादव, जगदीश सोनकर और शैलेन्द्र यादव के तौर पर जिले को 3 मंत्री मिले, मगर  इक्का-दुक्का विकास कार्यों को छोड़कर इस जिले की हालत पहले के मुकाबले और बदतर हुई  है।
 
चुनाव से पहले यहां हर बार की तरह तकरीबन हर गली-चौराहों और नुक्कड़ों पर लोगों में  विकास की चर्चा आम थी, मगर मतदान का समय नजदीक आने के साथ नेताओं ने अपने  लुभावने और लच्छेदार भाषणों से चुनाव को एक बार फिर जाति धर्म की तरफ धकेल दिया है।
 
इन सबके बावजूद जिले की सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में इस बार फिजा बदली-बदली-सी है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष  मायावती यहां जनसभाएं कर चुके हैं। लोगों की भीड़ ने यहां आने वाले हर नेता को सिर माथे  पर लिया। सबको बड़े ध्यान से सुना, मगर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले  चुनावों की तरह इस बार यह चुनाव लीक से हटकर है। मतदाता खुलकर बोलने से कतरा रहे हैं  और यही वजह प्रत्याशियों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है।
 
विधानसभा चुनाव के 7वें एवं अंतिम चरण के लिए जौनपुर जिले में 8 मार्च को वोट डाले  जाएंगे। जिले में 31 लाख 58 हजार 226 मतदाता हैं जिनमें 14 लाख 77 हजार 651 महिला  हैं जबकि पुरुष मतदाता 16 लाख 80 हजार 453 हैं। 
 
यहां की सभी 9 सीटों पर भाजपा-भासपा-अपना दल गठबंधन, सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा  के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं, हालांकि राष्ट्रीय लोकदल के ताल ठोंकने से मुकाबलों  के दिलचस्प होने के आसार हैं। उधर लगभग सभी पार्टियां भितरखात से परेशान रही हैं। 
 
बदलापुर सीट पर यूं तो 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, मगर मुख्य मुकाबला बसपा के  लालजी यादव और भाजपा के रमेश मिश्र सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी और विधायक ओम  प्रकाश दुबे उर्फ बाबा दुबे को कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं जबकि रालोद के कुंवर मृगेंद्र सिंह वोट  कटवा की भूमिका में मैदान में डटे हुए हैं।
 
शाहगंज में अखिलेश सरकार में ऊर्जा राज्यमंत्री शैलेन्द्र यादव ललई की प्रतिष्ठा दांव पर लगी  है। सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी के तौर किस्मत आजमा रहे ललई की राह में  भासपा-भाजपा गठबंधन के राणा अजीत प्रताप सिंह के अलावा बसपा के डॉ. ओपी सिंह कांटा  बने हुए हैं।
 
जौनपुर सीट पर बसपा के दिनेश टंडन, कांग्रेस-सपा के नदीम जावेद और भाजपा के गिरीश  यादव के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं विधायक नदीम जावेद और  नगर पालिका के अध्यक्ष दिनेश टंडन की क्षेत्र में खासी लोकप्रियता है, मगर मोदी फैक्टर के  चलते गिरीश यादव को कम नहीं आंका जा सकता।
 
मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में सपा सरकार में प्रदेश के ग्रामीण अभियंत्रण मंत्री पारसनाथ यादव  की राह इस दफा आसान नहीं है। इनका मुकाबला निषाद पार्टी के प्रत्याशी एवं पूर्व सांसद  धनंजय सिंह, भाजपा के सतीश सिंह और बसपा के विवेक यादव से है। यहां से धनंजय सिंह  निर्दलीय विधायक चुने जा चुके हैं।
 
मुंगरा बादशाहपुर में भाजपा की 3 बार विधायक रहीं सीमा द्विवेदी की प्रतिष्ठा दांव पर है।  इनका मुकाबला कांग्रेस के अजय कुमार दुबे अज्जू, बसपा की सुषमा पटेल और रालोद के  चक्रपाणर पांडेय से है। मिश्रित आबादी वाले मछली शहर (सुरक्षित) में प्रदेश के जल संसाधन  राज्यमंत्री और सपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवार जगदीश सोनकर का मुकाबला भाजपा की  अनिता रावत और बसपा की सुशीला सरोज से है।
 
मडियाहूं में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।  सीमा अपना दल (कृष्णा गुट) के टिकट पर चुनाव मैदान में है। यहां पर अपना दल-भाजपा  प्रत्याशी लीना तिवारी, बसपा के भोला नाथ शुक्ल, सपा की विधायक श्रद्धा यादव एवं सीमा  सिंह के बीच मुकाबला है।
 
जफराबाद सीट पर सपा के विधायक शचीन्द्र नाथ तिवारी, भाजपा के डॉ. हरेंद्र प्रताप सिंह एवं  बसपा के संजीव उपाध्याय के बीच मुकाबला है जबकि केराकत (सुरक्षित) सीट पर सपा के  वर्तमान विधायक गुलाब सरोज का टिकट काटने से भाजपा के दिनेश चौधरी का मुकाबला बसपा की उर्मिला राज एवं सपा के संजय सरोज से हो गया है। (वार्ता)
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