बहुत याद आएंगे मित्रसेन यादव
फैज़ाबाद। इस बार के विधानसभा चुनाव में फैज़ाबाद के इतिहास के पन्नों में जुड़ चुके स्थानीय राजनीति के स्तंभ कहे जाने वाले स्व. मित्रसेन यादव को स्थानीय मतदाता बहुत याद करेंगे। फैजाबाद में स्व. मित्रसेन यादव की बिरादरी उन्हें ही अपना मुखिया मानती थी और मित्रसेन यादव भी अपनी अपनी सादगीभरे जीवन में हमेशा अपनी बिरादरी का काफी ध्यान तो देते ही थे साथ ही गरीब, निर्बल व असहाय वो चाहे किसी भी बिरादरी का हो उनके पास अगर पहुंच गया तो उसकी हरसंभव सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और इसीलिए उन्हें हमेशा गरीबों व मजलुमों का नेता कहा जाता था, वे हर जात-बिरादरी के लिए प्रिय थे, मित्रसेन यादव ऐसे राजनीतिज्ञ थे जिनकी राजनीति अपने दम व अपने बलबूते थी किसी भी पार्टी का कद उनके सामने उनसे बड़ा नहीं था, क्योंकि बिना दल के निर्दल भी उन्होंने चुनाव मैदान में लड़कर अपनी शक्ति व ताकत का एहसास करा चुके थे।
मित्रसेन यादव के राजनीतिक सफर की हम अगर बात करें तो उनका राजनीतिक सफर वामपंथी दल माक्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी से सर्वप्रथम वर्ष 1972 में विधानसभा जाने का रास्ता जो तय की तो फिर लगातार मित्रसेन यादव वर्ष 1972, 1977, 1980, 1993 व 2012 तक विधानसभा भवन में अपनी उपस्थिति दर्ज करते रहे।
मित्रसेन का सियासी सफर उत्तरप्रदेश की विधानसभा तक ही सीमित नही रहा था। उन्होंने देश की संसद में भी वर्ष 1989,196 व 2004 में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर हमेशा अपने क्षेत्र के विकास व समस्याओ संबंधी सवालों को उठाते रहे, लेकिन अब इन सवालों को लेकर उठाने वाली आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई। इस बार के चुनाव में उनके सार्थक मतदाता को उनकी काफी खलेगी व उन्हें याद भी करेंगे।