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Written By UN
Last Modified: बुधवार, 19 नवंबर 2025 (19:15 IST)

शहरों में बसी है विश्व की लगभग आधी आबादी, रुझान में तेजी

Nearly half world's population lives in cities
विश्वभर में शहरी इलाक़ों में जनसंख्या का आकार बढ़ रहा है और समय बीतने के साथ इस रुझान में तेज़ी आ रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 8.2 अरब वैश्विक आबादी में से 45 प्रतिशत लोग अब शहरों में रह रहे हैं। इंडोनेशिया का जकार्ता शहर 4.2 करोड़ की आबादी के साथ विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर बन गया है।
 
आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए यूएन कार्यालय (DESA) ने मंगलवार को अपने एक नए विश्लेषण में बताया है कि वर्तमान स्थिति 1950 के उलट है, जब कुल 2.5 अरब वैश्विक आबादी में से केवल 20 प्रतिशत यानी 50 करोड़ लोग ही ही शहरों में बसे थे।
 
2025 से 2050 के दौरान कुल शहरी आबादी में क़रीब 98 करोड़ की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है, जिनमें से आधी संख्या, यानि 50 करोड़, केवल सात देशों के शहरी इलाक़ों में केन्द्रित होगी: भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, बांग्लादेश, इथियोपिया। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता, विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला शहर बन चुका है जहां 4.2 करोड़ निवासी बसे हैं।
इसके बाद, ढाका (लगभग 4 करोड़), टोक्यो (3.3 करोड़), नई दिल्ली (3 करोड़), शंघाई (2.96 करोड़) का स्थान है। शीर्ष 10 शहरों में कोलकता (2.25 करोड़) नौवें स्थान पर है। जनसंख्या की दृष्टि से शीर्ष 10 शहरों में केवल मिस्र का काहिरा ही एकमात्र ऐसा शहर है, जोकि एशियाई क्षेत्र में स्थित नहीं है।
 
महानगरों की बढ़ती संख्या
वर्ष 1975 में महानगरों (Megacities) की संख्या 8 थी, जो कि 2025 आते-आते 33 पहुंच चुकी है, जिनमें 19 एशिया क्षेत्र में हैं। महानगरों से तात्पर्य उन शहरी इलाक़ों से है, जहां एक करोड़ या उससे अधिक निवासी बसे हों। भारत में महानगरों की संख्या पांच हैं, जबकि चीन में चार मेगासिटी हैं।
 
2050 में ऐसे महानगरों की संख्या बढ़कर 37 तक पहुंच जाने का अनुमान है और अदीस अबाबा (इथियोपिया), दार ऐस सलाम (तंज़ानिया), हाजीपुर (भारत) और क्वालालम्पुर (मलेशिया) एक करोड़ आबादी के आंकड़े को पार कर सकते हैं। भले ही महानगरों की संख्या बढ़ने का रुझान हो, मगर रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि असल में मेगासिटी की तुलना में छोटे और मध्यम-आकार के शहरों में कहीं अधिक संख्या में लोग रहते हैं, और उनकी आबादी तेज़ी से बढ़ रही है, विशेष रूप से अफ़्रीका व एशिया में।
ऐसे 12 हज़ार शहरों का विश्लेषण किया गया, जिनमें 96 प्रतिशत की आबादी 10 लाख से कम थी और 81 फ़ीसदी में 2.5 लाख से कम लोग बसे थे। नए डेटा के अनुसार, 1975-2025 के दौरान विश्वभर में कुल शहरों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। 2050 तक शहरों की संख्या 15 हज़ार के आंकड़े को पार कर जाने की सम्भावना है, जिनमें से अधिकांश की आबादी ढाई लाख से कम होगी। यूएन के अनुमान दर्शाते हैं कि भारत की आबादी में वृद्धि अगले अनेक दशकों तक जारी रह सकती है।
 
आबादी वृद्धि रुझानों में असमानता
लेकिन ऐसा नहीं है कि शहरों में हो रही बढ़ोत्तरी एक समान हो। जहां अनेक शहरों का विस्तार हो रहा है, वहीं अन्य की आबादी में गिरावट दर्ज की जा रही है। कुछ देशों की आबादी बढ़ने के बावजूद, उनमें शहरों की संख्या घट रही है, जबकि ऐसे भी उदाहरण है, जहां राष्ट्रीय आबादी में गिरावट आ रही है, मगर उनके शहरों की संख्या बढ़ रही है।
 
जिन शहरों में आबादी का आकार घट रहा है, उनमें अधिकांश की जनसंख्या 2.5 लाख से कम थी। इनमें एक-तिहाई चीन में और 17 प्रतिशत भारत में हैं। वहीं विशाल शहरों, जैसे कि मैक्सिको सिटी (मैक्सिको) और चेन्गदू (चीन) में जनसंख्या में कमी आ रही है।
 
नगर व ग्रामीण इलाके
70 से अधिक देशों में नगर (कम से कम पांच हज़ार निवासी) किसी बसी हुई आबादी का सबसे आम प्रकार है। 70 से अधिक देशों में यह देखा जा सकता है, जिनमें जर्मनी, भारत, युगांडा और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। ग्रामीण इलाक़ों में बसी हुई आबादी 62 देशों में सबसे आम प्रकार है, जबकि 1975 में 116 देशों में ऐसा था।
जिनमें ऑस्ट्रिया, फ़िनलैंड, रोमानिया, चाड, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, मोज़ाम्बीक़, ज़ाम्बिया समेत अन्य देश हैं। 2050 तक इसमें और गिरावट आने की सम्भावना है और यह 44 देशों तक सिमट सकती है। इस मामले में सब-सहारा अफ़्रीका ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
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