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NCERT की किताबों में मुगलों का एकतरफा महिमामंडन खत्म,सिख और मराठा राजाओं पर विशेष अध्याय शामिल

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change in ncert book syllabus : हाल ही में, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, खासकर कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य भारतीय इतिहास के विभिन्न पहलुओं को अधिक व्यापक और संतुलित तरीके से प्रस्तुत करना है। अब छात्रों को सिख गुरुओं के संघर्ष, मराठों के उदय और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलेगा, वहीं मुगलों के इतिहास को भी नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।

सिख राजाओं और गुरुओं पर नए अध्याय
एनसीईआरटी की नई पुस्तकों में सिख इतिहास को पहले से कहीं अधिक प्रमुखता दी गई है। यह बदलाव सिख गुरुओं के बलिदान, उनके संघर्ष और सिख धर्म के उदय की कहानियों को छात्रों तक पहुंचाने पर केंद्रित है।
गुरु नानक देव से गुरु गोबिंद सिंह तक: किताबों में गुरु नानक देव द्वारा शुरू किए गए आध्यात्मिक आंदोलन से लेकर गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा की स्थापना तक सिख समुदाय के विकास को विस्तार से बताया गया है।
मुगल अत्याचारों का प्रतिरोध: विशेष रूप से, गुरु तेग बहादुर की शहादत और औरंगजेब के मुगल अत्याचारों के खिलाफ सिख गुरुओं के प्रतिरोध को प्रमुखता से उजागर किया गया है। यह दर्शाता है कि कैसे सिख गुरुओं ने अन्याय का सामना किया और चुनौतीपूर्ण समय में अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रखा।
महाराजा रणजीत सिंह का साम्राज्य: महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में सिख साम्राज्य के एकीकरण और विस्तार पर भी विस्तृत जानकारी दी गई है, जिन्होंने विभिन्न सिख समूहों को एकजुट करके एक शक्तिशाली क्षेत्रीय शक्ति का निर्माण किया।

मराठा साम्राज्य का विस्तृत वर्णन
पहले मराठा इतिहास को कुछ ही पन्नों या संक्षिप्त संदर्भों तक सीमित रखा गया था, लेकिन अब मराठा साम्राज्य पर एक विस्तृत अध्याय शामिल किया गया है।
शिवाजी महाराज का उदय: यह अध्याय छत्रपति शिवाजी महाराज के उदय से शुरू होता है, उन्हें एक ‘मास्टर रणनीतिकार और सच्चे दूरदर्शी’ के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें 17वीं शताब्दी में उनके नेतृत्व, रायगढ़ किले में उनके राज्याभिषेक और उनके द्वारा स्थापित कुशल प्रशासन प्रणाली पर प्रकाश डाला गया है।
महिलाओं का योगदान: मराठा इतिहास में ताराबाई और अहिल्याबाई होल्कर जैसी महिला नेताओं के योगदान को भी उजागर किया गया है, जिन्होंने मराठा शक्ति के विकास और सांस्कृतिक उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
धार्मिक सहिष्णुता और मंदिरों का पुनर्निर्माण: किताबों में बताया गया है कि कैसे शिवाजी महाराज ने हिंदू मूल्यों को बनाए रखते हुए अन्य धर्मों का सम्मान किया। इसमें खंडित मंदिरों के पुनर्निर्माण में उनके प्रयासों का भी उल्लेख है।

मुगलों के इतिहास में बदलाव और नया दृष्टिकोण
मुगल इतिहास के चित्रण में भी एनसीईआरटी ने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब मुगल शासकों को केवल बुद्धिजीवी और कला प्रेमी के रूप में नहीं, बल्कि उनकी क्रूरता और लूटपाट जैसे ‘अंधेरे पक्ष’ को भी सामने लाया गया है।
बाबर का चित्रण: बाबर को अब ‘एक बर्बर और निर्मम विजेता’ बताया गया है, जिसने शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया, महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया, और अपनी जीत के प्रतीक के रूप में खोपड़ियों की मीनारें बनाने में गर्व महसूस किया।
अकबर का संतुलित वर्णन: अकबर के शासनकाल को ‘क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण’ बताया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि चित्तौड़गढ़ किले पर हमले के दौरान उसने लगभग 30,000 नागरिकों के नरसंहार का आदेश दिया था। साथ ही, मंदिरों को सहायता और सुरक्षा देने के उनके प्रयासों का भी उल्लेख है।
औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता: औरंगजेब को एक सैन्य शासक के रूप में चित्रित किया गया है जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने के फरमान जारी किए। बनारस, मथुरा, सोमनाथ के मंदिरों और जैन मंदिरों के साथ-साथ सिख गुरुद्वारों पर भी उसके अत्याचारों का जिक्र है। जज़िया कर को ‘सार्वजनिक अपमान और इस्लाम में धर्मांतरण के लिए एक प्रोत्साहन’ के रूप में वर्णित किया गया है।

बदलाव का उद्देश्य और महत्व
एनसीईआरटी का यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क 2023 के अनुरूप है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को भारतीय इतिहास की एक अधिक समावेशी और तथ्यात्मक तस्वीर प्रस्तुत करना है। अब तक जिन क्षेत्रीय शक्तियों और ‘भुला दिए गए नायकों’ को इतिहास में कम जगह मिलती थी, उन्हें अब उचित सम्मान और स्थान दिया जा रहा है।

यह उम्मीद की जा रही है कि इन बदलावों से छात्र अपने इतिहास को अधिक गहराई और संतुलन के साथ समझ पाएंगे, और उन संघर्षों व योगदानों से भी परिचित होंगे जो अब तक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाए थे। यह भारतीय इतिहास के विभिन्न पहलुओं को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
 


 
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