FILE कमर बांधे हुए चलने को यों तैयार बैठे हैं,बहुत आगे गए, बाक़ी जो हैं तैयार बैठे हैंनसीबों का अजब कुछ हाल है इस दौर में यारों,जहां पूछो यही कहते हैं, हम बेकार बैठे हैं।-इब्ने इंशा