इसी सप्ताह बिग बॉस से एविक्ट होने वाले साहिल कहते हैं कि वे कभी भी लड़ाई में मिर्च- मसाला डालने वालों में से नहीं हैं। वे हमेशा से शांतिपसंद रहे हैं। लेकिन बिग बॉस में वे शो को देखने के बाद थोड़ा-सा मानसिक रूप से तैयार होकर गए थे, साथ ही वे अपनी पहली फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' के निर्देशक करण जौहर को कभी नहीं भूलते हैं और कहते हैं कि वे एक्टर्स डायरेक्टर हैं। वे हर एक्टर को बढ़ावा देते हैं। उनसे बातें कर रही हैं हमारी संवाददाता रूना आशीष।
बिग बॉस के घर में जब जाते हैं तो मानकर चलते हैं कि दिन तो नॉर्मल नहीं होगा। तो क्या आप तैयार थे, क्योंकि आप कहते हैं कि आप लड़ाइयां लगा नहीं सकते या चुगली नहीं कर सकते हैं?
देखिए, मैं तो नहीं करता लेकिन शो देखकर गया था। वहीं मनु और मनवीर थे, जो लोगों को उकसाते थे। एक बार तो मनु ने ही मुझे उकसाने की कोशिश की थी कि तुम तो सेलिब्रिटी हो और उन्हीं का साथ दोगे, तो मैंने तो ऐसा जवाब दिया कि उसे चुप ही करा दिया था। वह बहुत सारे पूर्वानुमान लगा रहा था और कह रहा था कि तू तो बाहर से दिखावा कर रहा है। वैसे भी मनु की बानी से नहीं बनती है तो उसे लगता था कि बानी का दोस्त है तो ये भी मेरे खिलाफ ही रहेगा। खैर, मनु तो अब नहीं रहा गेम में और उसके जाने के बाद मनवीर भी थोड़ा शांत हो गया है। होना तो ये चाहिए था कि वह और भी अग्रेसिव हो जाए। लेकिन मनु की यह बात मुझे दिखने लगी थी। अब दिखे तो मैं कोई प्रतिक्रिया करूं, वर्ना क्यों लड़ने जाऊं? अब अगर कभी मनु और मनवीर ये करते तो मैं तगड़े जवाब देता, फिर मैं किसी से डरता नहीं हूं।
आप और बानी रोडीज के समय के दोस्त रह चुके हैं तो आप ही बताइए कि बानी किस तरह की शख्स हैं।
देखिए, वह कभी भी लवी-डवी किस्म की तो नहीं रही हैं। वह ऐसी है कि उसे कई बार अपनी स्पेस चाहिए रहेगी। अब जैसे मैं हूं तो मुझे तो अपने आसपास लोग चाहिए हैं। कोई न कोई पास में हो मेरे, लेकिन बानी ऐसी नहीं है। जब भी घर में ऐसा कुछ होता था तो ऐसा नहीं कि मैं उसे छोड़कर ही भाग गया था। उसे छोड़कर 2 मिनट बाद ही वापस भी आ जाता था कि क्या हो गया? क्या नहीं हुआ? मैं उसके साथ हो जाता था। अब मुझे तो पता नहीं कि एपिसोड में क्या दिखा रहे थे और क्या नहीं? वैसे जब कभी गौरव और बानी की लड़ाइयां होती थीं तो वो भी मुझसे पूछता था कि क्या वे ऐसी ही हैं तो मैं भी कह देता था हां, बानी ऐसी ही है।
आप तो उसी घर से निकलकर आए हैं तो ऐसे में आपके पीछे प्रियंका को घर से एविक्ट किया है लेकिन बाहर न जाते हुए वे एक सीक्रेट रूम में हैं। कोई नया मसाला मिलने वाला है क्या?
वे तो वैसे भी तंग करती रहती हैं, तो वे सीक्रेट रूम में ऐसा क्या कर लेंगी। तंग ही करेगी न? पहले भी निकली थी। पहले हफ्ते में फिर आई। फिर उसे घर के अंदर लेकर गए, अब फिर निकाल लिया है। अब आप ही बताइए कि क्या चल रहा है? अगर आपको वह ऐसी ही टीआरपी के लिए चाहिए है तो बेहतर है कि मैं घर से बाहर आ गया।
रोहन के बारे में क्या कहेंगे?
मेरे को रोहन समझ में नहीं आया कि क्या है वो बंदा। वो अपनी सोच से चलता है। उसे किसी की नहीं पड़ी। वो वही करता है, जो वो खुद की ही सोच है। उसको नहीं पता कि वो सही है या गलत है, लेकिन वो करेगा वही जो उसे करना हो। और सही मायने में मैं रोहन को समझना भी नहीं चाहता। उसे पता ही नहीं कि उसे करना क्या है। वह 26 साल का है। अब ये नासमझी 19 या 20 साल की हो तो समझ में आता है।
आपको बिग बॉस के घर में अच्छा कौन लगा?
मुझे गौरव चोपड़ा अच्छे लगे। वे बहुत सुलझे हुए हैं। वे बहुत मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति हैं। बिग बॉस में आपके रहने के लिए दिमागी तौर पर बहुत मजबूत होना चाहिए। एक वे ही गाते थे, जो कहते थे कि क्या है और घर में कैसे चल रहा है? मैं और बानी उनसे हमेशा गाइडेंस लेते रहते थे। हमें जब भी कोई तकलीफ होती तो हम दोनों उनके पास जाते थे। वे हमेशा सही बातें करते थे। वे एक तो कॉटेंस्टंट थे लेकिन हमेशा गुस्सा करने से रोकते थे।
आपको इंडिया वाले और सेलेब में से कौन लगता है, जो आखिरी दौड़ तक जाएगा?
मनु और मनवीर इंडिया वालों में से और सेलेब की तरफ से बानी और गौरव जीतेंगे। और अगर मेरे दिल की बात पूछें तो मनवीर और बानी दोनों आखिरी राउंड तक पहुंचेंगे। मनवीर इसलिए कि वह मुझे बहुत सही बंदा लगता है और दिल से खेलता है। जो करता है दिल से करता है और बानी भी ऐसा ही करती है। जब उस पर आती है या कोई टास्क होता है तो वह डटकर खेलती है। फालतू चीजों में घुसती नहीं। जब गलत हो रहा हो तभी कहती है तथा तभी जोर से आवाज उठाती है।
अपनी निजी जिंदगी के बारे में बताएं?
मैडम, मैं चंडीगढ़ से हूं। पढ़ाई के मामले में मैकेनिकल इंजीनियर हूं। घर-परिवार वाले सारे चंडीगढ़ में ही हैं। मैं पिछले 7 सालों से यहां हूं, तब से यहां काम ही कर रहा हूं। 40 के लगभग टीवी एड किए हैं तथा 4-5 टीवी शोज किए हैं। 5-6 फिल्में की हैं। रोडीज में भाग लिया, फिर स्प्लिट्ज विला में मेहमान बनकर गया था और अब 10 सालों बाद बिग बॉस किया है।
इसके बाद क्या करने वाले हैं?
अभी तो कुछ ही घंटे हुए हैं, तो 3-4 दिन से ज्यादा टाइम लगेगा कि मैं वापस अपनी जिंदगी में आ जाऊं। बिग बॉस में तो 14 दिन भी इतने लंबे थे कि लगा कब से यहीं रह रहा हूं। 14 दिन तो 14 साल के बराबर थे। मेरे पास अभी कुछ फिल्में तो हैं लेकिन मुझे समय दीजिए पहले नॉर्मल हो जाने का फिर बताता हूं आपको।
कभी आपको बिग बॉस के घर दोबारा जाना पड़े तो? कभी किसी दोस्त को कहेंगे बिग बॉस के घर में जाने के लिए?
नहीं, मैं तो ये सोच भी नहीं रहा कि वापस जाना पड़ जाएगा। जहां तक बात है मेरे दोस्त के बिग बॉस में जाने की तो देखूंगा कि अगर किसी को जाने के लिए बुलावा आया है तो मैं देखूंगा कि वह जेहनी तौर से कितना मजबूत है। अगर वह मेंटली बहुत मजबूत है तो मैं उसे जाने की सलाह दूंगा और अगर वह मजबूत नहीं है तो मैं कह दूंगा कि वह जाने के पहले एक बार सोच ले।
आप जब दूसरे लोगों को देखते हैं तो लगता है कि उन्हें निजी और प्रोफेशनल जिंदगी में बिग बॉस जैसे प्लेटफॉर्म का फायदा हुआ हो। आपको अपने लिए तो कहना अभी मुश्किल हो रहा होगा, क्योंकि आप अभी तो उस घर से निकलकर आए ही हैं। आप भी समय लेंगे अंतर देखकर समझने में। जिंदगी में बदलाव लाता होगा?
करियर का तो मुझे नहीं पता। मैंने तो किसी का करियर ऐसे बदलते देखा नहीं है कि बहुत अंतर आ गया हो, एक या दो का नाम छोड़ दें, बाकी सब तो उसके बाद दिखना ही बंद हो जाते हैं। अगर मैं अपनी बात कहूं तो मैं बिग बॉस में काम के लिए नहीं गया था। मैं हमेशा से सोचता रहा हूं कि लोग मुझे 'साहिल' नाम से ही पहचानें। फिल्म वाला, सीरियल वाला या वे एड वाला लड़का न कहें।
आपने करण जौहर के साथ काम किया है तो वह अनुभव बताइए कि कैसा रहा?
वे कहते हैं न कि एक्टर्स डायरेक्टर हैं यानी वे एक्टर्स को वे करने देते हैं, जो वे अपने रोल में करना चाहे। उसकी बातें समझते हैं। उन्होंने पूरी छूट दी थी मुझे कि मैं जो भी जीत के कैरेक्टर करना चाहता हूं, वह कर सकूं। थोड़ा-सा किरदार के बारे में मोटे-मोटे तौर पर बताया। तो जो भी मैंने रोल में किया था जीत के, वह अपने आप किया है। इंप्रोवाइज किया है। मैं उनसे पूछता था कि सर मैं ऐसे कर लूं? या वैसे कर लूं? तो वे कहते थे जो करना है, तो वह कर। मैंने किया और कैरेक्टर बहुत अच्छा निकलकर आया। बहुत अच्छे निर्देशक हैं, कभी डांटा भी नहीं। मुझे कभी भी फिल्म करते समय कोई दबाव महसूस नहीं हुआ। कभी-कभी निर्देशक होते हैं, जो बताते हैं कि ऐसा ही रोल चाहिए और ये ही करना होगा आपको। चाहे आप बतौर एक्टर उस बात से सहमत हों या नहीं हों, लेकिन 'धर्मा' में मुझे ऐसा बिलकुल महसूस नहीं हुआ।