नई दिल्ली: पैरालंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने खेल के दौरान अपने शांत और एकाग्र व्यवहार का श्रेय सचिन तेंदुलकर को देते हुए कहा कि उन्हें इस दिग्गज क्रिकेटर की खेल भावना और शानदार व्यवहार से प्रेरणा मिली।
मौजूदा विश्व चैंपियन भगत ने पिछले सप्ताह तोक्यो पैरालंपिक के एसएल 3 वर्ग के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल पर सीधे गेम में जीत के साथ भारत का पहला (बैडमिंटन में) पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीता।
चार साल की उम्र में पोलियो से ग्रसित होने वाले 33 साल के इस भारतीय ने फाइनल के दूसरे सेट में आठ अंक से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी।
भगत ने पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, मैं बचपन में क्रिकेट खेला करता था। उस दौरान हम दूरदर्शन पर क्रिकेट देखते थे और मैं हमेशा सचिन तेंदुलकर के शांत और एकाग्र व्यवहार से प्रभावित होता था। परिस्थितियों से निपटने के उनके तरीके का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा।
उन्होंने कहा, मैं उनका अनुसरण करने लगा। उनकी खेल भावना ने मुझे बहुत प्रभावित किया। इसलिए जब मैंने खेलना शुरू किया, तो मैंने उसी विचार प्रक्रिया का पालन किया और इससे मुझे विश्व चैंपियनशिप सहित कई मैचों में यादगार वापसी करने में मदद मिली।
उन्होंने कहा, फाइनल के दूसरे गेम जब मैं 4-12 से पिछड़ रहा था तब भी मुझे विश्वास था कि मैं वापसी कर सकता हूं। मैंने भावनाओं पर काबू रखने के साथ एकाग्रता बनाए रखी और वापसी कर मुकाबला अपने नाम किया।
टोक्यो से स्वदेश लौटने के बाद भगत ने तेंदुलकर से मुलाकात की थी। उन्होंने इस महान क्रिकेटर को पैरालंपिक फाइनल में इस्तेमाल किये गये अपने रैकेट को उपहार में दिया। तेंदुलकर ने उन्हें एक ऑटोग्राफ वाली टी-शर्ट और अपनी आत्मकथा की किताब दी।
उन्होंने कहा, मैं बचपन से ही सचिन से प्रेरित रहा हूं, इसलिए जब मैं उनसे मिला तो यह मेरे लिए एक बड़ा क्षण था। उन्होंने मुझे जीवन और खेल के संतुलन के बारे में बताया। यह एक सपने के सच होने का क्षण था।
प्रमोद के इस ट्वीट को रीट्विट कर सचिन ने लिखा था।मुझे भी आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई प्रमोद और आपके बचपन के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा।आपने जो देश के लिए किया है वह बहुत बड़ी सफलता है।आप भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। ऐसे ही देश का नाम ऊंचा करते रहो!
ओडिशा के बरगढ़ जिले के अट्टाबीरा के रहने वाले भगत ने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तो उन्हें खेल में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था, लेकिन अब वह अपने स्वर्ण पदक से मिली प्रतिक्रिया से अभिभूत महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, जब मैंने 2005 में बैडमिंटन शुरू किया तो मुझे लगता था कि कोई भविष्य नहीं है, लेकिन मैंने 2009 विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता और एक बार बीडब्ल्यूएफ (विश्व बैडमिंटन महासंघ) ने पैरा-बैडमिंटन को मान्यता दी तो चीजें धीरे-धीरे बदल गईं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 45 से अधिक पदक जीतने वाले भगत ने कहा, उसके बाद भी पैरा बैडमिंटन के लिए ज्यादा मान्यता नहीं थी और मुझे पता था कि पैरालंपिक में एक स्वर्ण से मुझे पहचान मिल सकती है और अब मुझे कहना चाहिए कि मैं सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा हूं।
भारतीय पैर बैडमिंटन खिलाड़ियों ने तोक्यो पैरालंपिक से दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य सहित चार पदक जीते हैं। बैडमिंटन ने इन खेलों में पदार्पण किया था।
गौरतलब है कि पैरालंपिक खेलों के होने से पहले ही सचिन तेंदुलकर ने पूरे देश से पैरालंपिक खिलाड़ियों को चियर करने की अपील की थी। सचिन तेंदुलकर ने लगातार टोक्यो पैरालंपिक को फोलो किया था और मेडल जीतने वाले लगभग हर खिलाड़ी को ट्विटर पर बधाई दी थी।