 
								 Dakshin disha ke makan and Dukan ka vastu: हिन्दू धर्म, ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को अशुभ माना गया है। इस दिशा में घर या दुकान का मुख्य द्वार है तो उससे नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। दक्षिण दिशा को यम और मंगल की दिशा माना गया है। यह दिशा स्त्रियों के लिए अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ज्यादा रहता है जो शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं है। दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार या खिड़की है तो दक्षिण के बुरे प्रभाव से बचना जरूरी है। इसके लिए जानिए 5 खास अचूक उपाय।
Dakshin disha ke makan and Dukan ka vastu: हिन्दू धर्म, ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को अशुभ माना गया है। इस दिशा में घर या दुकान का मुख्य द्वार है तो उससे नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। दक्षिण दिशा को यम और मंगल की दिशा माना गया है। यह दिशा स्त्रियों के लिए अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। इस दिशा से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ज्यादा रहता है जो शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं है। दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार या खिड़की है तो दक्षिण के बुरे प्रभाव से बचना जरूरी है। इसके लिए जानिए 5 खास अचूक उपाय।
                     Dev Uthani Ekadashi 2025: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को कुछ लोग छोटी दिवाली और देव दिवाली भी मानते हैं। देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने और तुलसी विवाह करने का प्रचलन है। आओ जानते हैं दोनों ही परंपरा के संबंध में विस्तार से पूजन और विवाह विधि।
Dev Uthani Ekadashi 2025: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को कुछ लोग छोटी दिवाली और देव दिवाली भी मानते हैं। देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने और तुलसी विवाह करने का प्रचलन है। आओ जानते हैं दोनों ही परंपरा के संबंध में विस्तार से पूजन और विवाह विधि।
                     Kashi Manikarnika Ghat: काशी (वाराणसी/बनारस) को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाता है, जहाँ गंगा तट पर स्थित मणिकर्णिका घाट पर जीवन और मृत्यु का संगम सदियों से होता रहा है। यह महाश्मशान, जहाँ राजा हरिशचंद्र के समय से अंतिम संस्कार की अग्नि निरंतर धधक रही है, हाल ही में सोशल मीडिया पर एक रहस्यमय परंपरा के कारण चर्चा में आया है। Quora और Instagram पर लाखों यूजर्स यह सवाल पूछ रहे हैं: दाह संस्कार के बाद चिता की राख पर '94' क्यों लिखा जाता है?
Kashi Manikarnika Ghat: काशी (वाराणसी/बनारस) को मोक्षदायिनी नगरी कहा जाता है, जहाँ गंगा तट पर स्थित मणिकर्णिका घाट पर जीवन और मृत्यु का संगम सदियों से होता रहा है। यह महाश्मशान, जहाँ राजा हरिशचंद्र के समय से अंतिम संस्कार की अग्नि निरंतर धधक रही है, हाल ही में सोशल मीडिया पर एक रहस्यमय परंपरा के कारण चर्चा में आया है। Quora और Instagram पर लाखों यूजर्स यह सवाल पूछ रहे हैं: दाह संस्कार के बाद चिता की राख पर '94' क्यों लिखा जाता है?
                     Dev Uthani Ekadashi Bhog: देव उठनी एकादशी के इस दिन श्रद्धा और प्रेम से लगाए गए सात्विक भोग से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि तथा वैवाहिक सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी इस दिन भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको तुलसी विवाह के अवसर पर कुछ खास भोग अर्पित करने चाहिए।
Dev Uthani Ekadashi Bhog: देव उठनी एकादशी के इस दिन श्रद्धा और प्रेम से लगाए गए सात्विक भोग से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि तथा वैवाहिक सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी इस दिन भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको तुलसी विवाह के अवसर पर कुछ खास भोग अर्पित करने चाहिए।