श्रावण में महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने से क्या होता है?
श्रावण मास प्रारंभ हो गया है जो 31 अगस्त 2023 तक चलेगा। इस माह में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना बहुत ही शुभ और पुण्यदायक माना जाता है। इसमें भी काशी विश्वनाथ और महाकाल बाबा के दर्शन का खासा महत्व है। सावन के माह में हर सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकलती है। जानते हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से क्या होगा।
काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। हालांकि महाकाल कहने का संबंध पौराणिक मान्यता से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना राजा चन्द्रसेन और गोप बालक रूप की कथा से जुड़ी है। कथा से हनुमानजी का संबंध भी जुड़ा हुआ है।
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श्रावण माह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी तरह के संकट कट जाते हैं और भक्त कभी भी अकाल मृत्यु को नहीं मरता है। जो भी महाकाल के दर्शन कर लेता है काल उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
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महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए। यह महाकाल प्रांगण में ही स्थित है।
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उज्जैन में साढ़े तीन काल विराजमान है- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्ध काल भैरव। यदि महाकाल बाबा और जूना महाकाल बाबा के दर्शन कर लिए हैं तो यहां के दर्शन भी जरूर करें।
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12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है। कहते हैं कि 'आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते।।' अर्थात आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।