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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 21 अगस्त 2024 (15:54 IST)

Shradh paksha 2024: पितृपक्ष: कब से प्रारंभ हो रहे हैं श्राद्ध पक्ष?

वेदों के पंचयज्ञ में से एक पितृयज्ञ के अतंर्गत ही आता है श्राद्ध पक्ष, जानें वर्ष 2024 में कब से कब तक रहेगा

Pitru Paksha 2024
Pitru Paksha 2024 : पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष की शुरुआत भाद्रपद की पूर्णिमा से होती है और आश्विन अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या पर इसकी समाप्ति होती है। हिंदू धर्म में सोलह 16 श्राद्ध पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करने के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इस बार श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2024 तक रहेगा। जानिए किसी दिनांक श्राद्धपक्ष की कौनसी तिथि रहेगी। 
 
पूर्णिमा का श्राद्ध : 17 सितंबर 2024- मंगलवार।
प्रतिपदा का श्राद्ध : 18 सितंबर 2024- बुधवार।
द्वितीया का श्राद्ध : 19 सितंबर 2024- गुरुवार।
तृतीया का श्राद्ध : 20  सितंबर 2024- शुक्रवार।
चतुर्थी का श्राद्ध : 21 सितंबर 2024- शनिवार।
महा भरणी : 21 सितंबर 2024- शनिवार।
पंचमी का श्राद्ध : 22 सितंबर 2024- रविवार।
षष्ठी का श्राद्ध : 23 सितंबर 2024- सोमवार।
सप्तमी का श्राद्ध : 23 सितंबर 2024- सोमवार।
अष्टमी का श्राद्ध : 24 सितंबर 2024- मंगलवार।
नवमी का श्राद्ध : 25 सितंबर 2024- बुधवार।
दशमी का श्राद्ध : 26 सितंबर 2024- गुरुवार।
एकादशी का श्राद्ध : 27 सितंबर 2024- शुक्रवार।
द्वादशी का श्राद्ध : 29 सितंबर 2024- रविवार।
मघा श्राद्ध : 29 सितंबर 2024- रविवार।
त्रयोदशी का श्राद्ध : 30 सितंबर 2024- सोमवार।
चतुर्दशी का श्राद्ध : 1 अक्टूबर 2024- मंगलवार।
सर्वपितृ अमावस्या : 2 अक्टूबर 2024- बुधवार।
shradhha Paksha
श्राद्ध क्यों करना चाहिए?
पूर्वजों और अतृप्त आत्माओं की सद्गति के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। अतृप्त की तृप्ति के लिए करना होता है श्राद्ध। प्रत्येक पुत्र या पौत्र या उसके सगे संबंधियों का उत्तरदायित्व होता है कि वह उक्त आत्मा की तृप्ति और सद्गति के उपाय करें ताकि वह पुन: जन्म ले सके। अतृप्त इच्छाएं। जैसे भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं रखने वाले को और  अकाल मृत्यु मरने वालों के लिए। जैसे हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना या किसी रोग के चलते असमय ही मर जाना आदि के लिए श्राद्ध करना जरूरी है। क्योंकि ऐसी आत्माओं को दूसरा जन्म मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है या कि वह अधोगति में चली जाता है। उन्हें इन सभी से बचाने के लिए पिंडदान, तर्पण और पूजा करना जरूरी होता है। 
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