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Pitru Paksh 2019 : इन 5 स्थानों पर रखें श्राद्ध का आहार, जानिए क्या है पंचबलि कर्म

Pitru Paksh 2019 : इन 5 स्थानों पर रखें श्राद्ध का आहार, जानिए क्या है पंचबलि कर्म - pitru paksha 2019
'श्राद्ध' शब्द 'श्रद्धा' से बना है यानी अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करना। श्राद्ध न करने वाले दलील देते हैं कि जो मर गया है उसके निमित्त कुछ करने का औचित्य नहीं है। यह ठीक नहीं है, क्योंकि संकल्प से किए गए कर्म जीव चाहे जिस योनि में हो, उस तक पहुंचता है तथा वह तृप्त होता है। यहां तक कि ब्रह्मा से लेकर घास तक तृप्त होते हैं।
 
श्राद्ध करने का अधिकार सर्वप्रथम पुत्र को है तथा क्रमश: पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, दौहित्र, पत्नी, भाई, भतीजा, पिता, माता, पुत्रवधू, बहन, भानजा तथा सगौत्री कहे गए हैं। इनमें ज्यादा या सभी करें तो भी फल प्राप्ति सभी को होती है।
 
श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन तथा पंचबलि कर्म किया जाता है। पंचबलि में गाय, कुत्ता और कौवा के साथ 5 स्थानों पर भोजन रखा जाता है। वे हैं-
 
प्रथम गौ बलि- घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को 'गौभ्यो नम:' कहकर प्रणाम किया जाता है। गौ देशी होना चाहिए।
 
द्वितीय श्वान बलि- पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराया जाता है।
 
तृतीय काक बलि- कौओं को छत पर या भूमि पर रखकर उनको बुलाया जाता है जिससे वे भोजन करें।
 
चतुर्थ देवादि बलि- पत्तों पर देवताओं को बलि घर में दी जाती है। बाद में वह उठाकर घर से बाहर रख दी जाती है।
 
पंचम पिपलिकादि बलि- चींटी, कीड़े-मकौड़ों आदि के लिए जहां उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।
 
श्राद्ध करने का आदर्श समय : मध्याह्न 11.30 से 12.30 तक है जिसे 'कुतप बेला' कहा जाता है। इसका बड़ा महत्व है।
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