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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (11:22 IST)

Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध का महत्व, विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

Pitru Paksha Chaturdashi
Pitru Paksha Chaturdashi Shraddha : श्राद्ध पक्ष में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह तिथि उन लोगों के श्राद्ध के लिए होती है जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना, हथियार से, आत्महत्या से या किसी अन्य अकाल मृत्यु से हुई हो। शास्त्र के अनुसार, स्वाभाविक रूप से मृत पूर्वजों का श्राद्ध इस दिन नहीं करना चाहिए। इस दिन का श्राद्ध विशेष रूप से उन्हीं आत्माओं के लिए किया जाता है, जिन्हें किसी प्रकार की हिंसा या आकस्मिक घटना के कारण मृत्यु प्राप्त हुई हो। श्राद्ध के लिए 'कुतुप काल' सबसे शुभ समय माना जाता है। इस दौरान किए गए श्राद्ध का फल सीधे पितरों को मिलता है।ALSO READ: Shradh 2025: अर्पण और तर्पण में क्या है अंतर? जानें क्यों पितृपक्ष में तर्पण है सबसे महत्वपूर्ण
 
चतुर्दशी श्राद्ध की विधि: 
स्थान और तैयारी: श्राद्ध करने से पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर की अच्छी तरह सफाई करें। गंगाजल का छिड़काव करके घर को शुद्ध करें।
 
संकल्प: पितरों का ध्यान करते हुए उनका श्राद्ध करने का संकल्प लें।
 
तर्पण और पिंडदान: कुतुप काल में, पितरों को जल अर्पित करें। इसके लिए जल, काले तिल, जौ और सफेद फूल मिलाकर तर्पण करें। पिंडदान के लिए जौ, चावल और काले तिल से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
 
पंचबलि: श्राद्ध में गाय, कुत्ता, कौवा, देवता और चींटी के लिए भोजन का अंश निकालें। इसे 'पंचबलि' कहते हैं।
 
ब्राह्मण भोज: चतुर्दशी श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सात्विक भोजन में खीर, पूरी, सब्जी, दाल तैयार करें। भोजन बनाते समय मन को शांत और मौन रखें।
 
दान-दक्षिणा : ब्राह्मण भोज कराने के बाद उन्हें दक्षिणा और अन्य वस्तुएं जैसे वस्त्र, अनाज आदि दान करें। ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही परिवार के सदस्यों को भोजन करना चाहिए।ALSO READ: shradh 2025: श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप और रोहिण काल का क्यों माना जाता है महत्वपूर्ण, जानें महत्व और सही समय
 
2025 पितृ पक्ष के दौरान चतुर्दशी श्राद्ध तिथि और मुहूर्त 
 
तिथि: चतुर्दशी श्राद्ध शनिवार, 20 सितंबर 2025 को
 
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 19 सितंबर 2025 को 11:36 पी एम बजे से, 
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 21 सितंबर 2025 को 12:16 ए एम बजे तक।
 
2025 चतुर्दशी श्राद्ध का समय, कुतुप काल मुहूर्त
 
कुतुप मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:56 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
 
रौहिण मुहूर्त - 12:56 पी एम से 01:45 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
 
अपराह्न काल - 01:45 पी एम से 04:11 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स
 
सावधानियां: 
स्वाभाविक मृत्यु वालों का श्राद्ध न करें: इस दिन केवल उन्हीं पितरों का श्राद्ध करें जिनकी मृत्यु अकाल हुई हो। स्वाभाविक मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि या सर्वपितृ अमावस्या को करना चाहिए।
 
सही सामग्री का उपयोग: श्राद्ध के लिए पारंपरिक दिशानिर्देशों के अनुसार उचित सामग्री भोजन और जल का उपयोग करें।
 
सत्य और श्रद्धा: श्राद्ध कर्म पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से करें। यह पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
 
नकारात्मक गतिविधियों से बचें: श्राद्ध के दौरान किसी भी प्रकार के नकारात्मक या अशुभ कार्य में संलग्न न हों। वातावरण को शांत और सम्मानजनक रखें।
 
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