• यहां पढ़ें शीतला सप्तमी पूजन विधि।
• चैत्र कृष्ण सप्तमी पर मनता है यह पर्व।
• माता शीतला पूजन के मुहूर्त।
sheetla mata puja 2024: इस वर्ष 30 मार्च को मनाए जाने वाले रंग पंचमी के त्योहार के पश्चात आने वाली सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी पर्व मनाया जाएगा। इस बार हिन्दू पंचांग कैलेंडर के मत-मतांतर के चलते शीतला सप्तमी पर्व 31 मार्च, रविवार तथा 01 अप्रैल 2024, सोमवार को मनाए जाने की उम्मीद है।
शीतला माता के इस खास पर्व के अवसर पर माताएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखेंगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार माता शीतला भगवती दुर्गा का ही रूप है, तथा इस दिन माताएं देवी शीतला का पूजन करके उन्हें बासी भोग लगाकर खुद भी यही भोजन ग्रहण करती है।
आइए यहां जानते हैं पूजन विधि और शीतला सप्तमी पर पूजन के शुभ मुहूर्त-
शीतला सप्तमी रविवार, 31 मार्च एवं 1 अप्रैल 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त : sheetala saptami 2024 shubh muhurt
चैत्र कृष्ण सप्तमी का तिथि प्रारंभ- 31 मार्च 2024 को 01.00 पी एम से शुरू,
सप्तमी तिथि की समाप्ति- 01 अप्रैल, 2024 को 12.39 पी एम बजे पर होगी।
तिथि : षष्ठी- 01.00 पी एम तक, तत्पश्चात सप्तमी।
नक्षत्र : ज्येष्ठा- 02.27 पी एम तक।
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त- 01.00 पी एम से 05.33 पी एम
अवधि- 04 घंटे 33 मिनट्स
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 03.57 ए एम से 04.45 ए एम।
प्रातः सन्ध्या- 04.21 ए एम से 05.33 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.09 ए एम से 11.57 ए एम।
विजय मुहूर्त- 01.33 पी एम से 02.21 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.31 पी एम से 05.55 पी एम।
सायाह्न सन्ध्या- 05.33 पी एम से 06.45 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 02.27 पी एम से 01 अप्रैल को 05.33 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11.09 पी एम से 11.57 पी एम
रवि योग- 02.27 पी एम से 01 अप्रैल 05.33 ए एम तक।
31 मार्च 2024, रविवार : दिन का चौघड़िया
चर- 07.03 ए एम से 08.33 ए एम
लाभ- 08.33 ए एम से 10.03 ए एम
अमृत- 10.03 ए एम से 11.33 ए एम
शुभ- 01.03 पी एम से 02.33 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
शुभ- 05.33 पी एम से 07.03 पी एम
अमृत- 07.03 पी एम से 08.33 पी एम
चर- 08.33 पी एम से 10.03 पी एम
लाभ- 01.03 ए एम से 01 अप्रैल को 02.33 ए एम,
शुभ- 04.03 ए एम से 01 अप्रैल को 05.33 ए एम तक।
पूजा विधि- sheetala saptami puja vidhi
- शीतला सप्तमी यानी चैत्र कृष्ण सप्तम तिथि के दिन अलसुबह जलदी उठकर माता शीतला का ध्यान करें।
- प्रातःकालीन कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करें।
- स्नान पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लें-
'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
- सप्तमी के दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं।
- मंत्र- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' का निरंतर उच्चारण करते हुए माता का पूजन करें।
- माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें।
- फिर बहते जल में से थोड़ा जल अपने लोटे में डाल लें। और पवित्र जल घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। और थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें। इससे घर की शुद्धि होती है।
- तत्पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं।
- अब शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें अथवा पढ़ें।
- कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।
- मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी करें, क्योंकि यह देवी रोगों को दूर करने वाली मानी गई है।
ज्ञात हो कि शीतला सप्तमी के व्रत के दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। अत: भक्त इस दिन एक दिन पहले बने भोजन को ही मां शीतला को अर्पित करते हैं तथा उसी को खाते हैं।
- जिस घर में सप्तमी तिथि को शीतला या बसौड़ा व्रत का पालन किया जाता है, उस घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है तथा रोगों से मुक्ति भी मिलती है।
- इसी तरह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भी देवी मां शीतला की पूजा करने का विधान है।
- मंत्र : 1. 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'। 2. 'शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता। शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः।।'
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