।।ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
अर्थात: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, तेजस्वी, पापनाशक, परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
ब्रह्म ही सत्य है
दुनिया के सभी धर्मों से अलग है हिन्दू धर्म में ईश्वर की धारणा, जो कि बिलकुल भी सतही नहीं है। यह ऋषियों का अनुभूत सत्य है। जांचा-परखा मार्ग है। ऋषियों ने ईश्वर की कल्पना नहीं की बल्कि उसका अनुभव किया और जाना। जो जाना वही कहा। आओ जानते हैं कि हिन्दू धर्म ईश्वर के बारे में क्या कहता है?
अगले पन्ने पर कौन नहीं है ईश्वर...