पुराणों अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र:- मन से मारिचि, नेत्र से अत्रि, मुख से अंगिरस, कान से पुलस्त्य, नाभि से पुलह, हाथ से कृतु, त्वचा से भृगु, प्राण से वशिष्ठ, अंगुष्ठ से दक्ष, छाया से कंदर्भ, गोद से नारद, इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सनतकुमार, शरीर से स्वायंभुव मनु, ध्यान से चित्रगुप्त आदि। आओ जानते हैं ऋषि अंगिरा के बारे मं संक्षिप्त में जानकारी।
1. अंगिरा देव को ऋषि मारीच की बेटी सुरूपा व कर्दम ऋषि की बेटी स्वराट् और मनु ऋषि कन्या पथ्या ये तीनों विवाही गईं। सुरूपा के गर्भ से बृहस्पति, स्वराट् से गौतम, प्रबंध, वामदेव, उतथ्य और उशिर ये 5 पुत्र जन्मे। पथ्या के गर्भ से विष्णु, संवर्त, विचित, अयास्य, असिज, दीर्घतमा, सुधन्वा ये 7 पुत्र जन्मे। उतथ्य ऋषि से शरद्वान, वामदेव से बृहदुकथ्य उत्पन्न हुए। महर्षि सुधन्वा के ऋषि विभ्मा और बाज आदि नाम से 3 पुत्र हुए। ये ऋषि पुत्र रथकार में कुशल थे।
2. एक अन्य मान्यता के अनुसार अंगिरा की पत्नी दक्ष प्रजापति की पुत्री स्मृति (मतांतर से श्रद्धा) थीं। अंगिरा के 3 प्रमुख पुत्र थे। उतथ्य, संवर्त और बृहस्पति। अंगिरा के पुत्रों को आंगिरस कहा गया।
3. अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृगयु: समलक्षणम्॥ -मनु (1/13)
जिस परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न कर अग्नि आदि चारों ऋषियों के द्वारा चारों वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराए उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और (तु अर्थात) अंगिरा से ऋग, यजु, साम और अथर्ववेद का ग्रहण किया।
4. ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक ब्रह्म ऋषि अंगिरा को वेदों के रचयिता चार ऋषियों में शामिल किया जाता है। माना जाता है कि अंगिरा से ही भृगु, अत्रि आदि ऋषियों ने ज्ञान प्राप्त किया।
5. ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। अंगिरा ने धर्म और राज्य व्यवस्था पर बहुत काम किया।
6. अंगिरा-स्मृति : अंगिरा-स्मृति में सुन्दर उपदेश तथा धर्माचरण की शिक्षा व्याप्त है। अंगिरा स्मृति के अनुसार बिना कुशा के धर्मानुष्ठान, बिना जल स्पर्श के दान, संकल्प; बिना माला के संख्याहीन जाप, ये सब निष्फल होते हैं।