झालीबाव कुंड की क्या खासियत है? महाराणा प्रताप के बचपन से क्या है कनेक्शन?
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ के किले में हुआ था। मेवाड़ के वीरों के गौरवपूर्ण इतिहास का गवाह कुंभलगढ़ का किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। इस किले के अंदर कई भव्य मंदिर और महल मौजूद हैं। कुंभ स्वामी का मंदिर और झाली रानी और बादल महल खास है। कुंभलगढ़ का यह किला 36 किमी लंबी दीवार से घिरा है। यह चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे बड़ी दीवार है।
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इसी किले के पहले द्वार पाडनपोल के पास जलस्त्रोत झाली बाव है जिसे बावड़ी और कुंड भी कहते हैं।
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झाली रानी के नाम पर ही इस कुंड का नाम रखा गया है।
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पाडनपोल झरने से लेकर झाली बाव तक के संपूर्ण स्थान को महाराणा प्रताप के जन्म एवं स्मृति स्थल के रूप में सुरक्षित किया गया है।
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महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ के किले में ही हुआ था।
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ऐतिहासिक बावड़ी चारों ओर से ऊंची दीवार से घिरी होने के कारण दिखाई नहीं देती है।
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बावड़ी के दो मार्गो में दीवार में लगी गणेश जी और देवी की मूर्तियां अद्भुत है।
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बावड़ी से जुड़ा एक प्राचीन मंदिर भी है जिसे चारदीवारी बनाकर बावड़ी से पृथक कर दिया गया है।
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इस त्रिमुखी बावड़ी का एक रास्ता वर्तमान में बंद कर दिया है।
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कहते हैं कि यह महाराणा उदयसिंह जी की रानी थीं।
भारतीय राज्य राजस्थान में सबसे ज्यादा बावड़ियां हैं। राजस्थान के दौसा के आभानेरी में दुनिया की सबसे बड़ी बावड़ी है जिसका नाम चांद बावड़ी है। 13 मंजिला 3500 सीढिय़ों वाली 100 फीट गहरी इस बावड़ी को देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं।