गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Shree Kheer Bhawani Durga Temple Kashmir
Written By
Last Updated : शनिवार, 27 मई 2023 (12:49 IST)

क्षीर भवानी मंदिर कहां है, क्या है महत्व? क्यों है चर्चा में?

kshir bhawani kheer bhavani
Ksheer Bhavani Mandir: इस समय क्षीर भवानी मंदिर काफी चर्चा में है। इस बार आतंकी हमलों के डर से कश्मीरी पंडित यहां जाने से कतरा रहे हैं। मां दुर्गा को समर्पित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां पर हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में मेला लगता है। पूर्णिमा पर सभी लोग एकत्रित होते हैं।
 
कहां है क्षीर भवानी मंदिर : क्षीर भवानी मंदिर श्रीनगर से करीब 27 किलोमीटर दूर तुलमुल्ला गांव में स्थित है। इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ हैं और नदियों की धाराएं हैं। इस मंदिर का निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया जिसे बाद में महाराजा हरिसिंह द्वारा पूरा किया गया। हालांकि यह स्थान और यहां की मूर्ति रामायण काल की मानी जाती है।
 
क्यों चर्चा में है मंदिर : इस वक्त कश्मीर में जी-20 की बैठक के बाद दहशतजदा माहौल है। आतंकी हमलों के डर से जो कश्मीरी पंडित इस बार तुलमुला स्थित क्षीर भवानी के मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए नहीं जा पा रहे हैं वे जम्मू में बनाए गए माता राघेन्या के मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। हालांकि कुछ कश्मीरी हिन्दू मुख्य मंदिर में जाएंगे। पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया है। जहां पर जलाए जाने के लिए सैकड़ों दीपों का बंदोबस्त किया गया है, परंतु इस साल ज्यादा लोगों ने पंजियन नहीं कराया है।
 
क्षीर भवानी मंदिर का क्या है महत्व?
  • 'क्षीर' अर्थात 'खीर' यहां का प्रमुख प्रसाद है।
  • यहां एक षट्कोणीय झरना है जिसे यहां के मूल निवासी देवी का प्रतीक मानते हैं। 
  • मां दूर्गा को स‍मर्पित यह मंदिर पंडित ही नहीं संपूर्ण कश्मीरी हिन्दुओं की आस्था के केंद्र है।
  • महाराग्य देवी, रग्न्या देवी, रजनी देवी, रग्न्या भगवती इस मंदिर के अन्य प्रचलित नाम हैं।
  • माता को प्रसन्न करने के लिए दूध और शकर में पकाए गए चावलों का भोग चढ़ाने के साथ-साथ पूजा-अर्चना और हवन किया जाता है।
  • मान्यता अनुसार यदि यहां स्थित झरने के पानी का रंग बदलकर सफेद से काला हो जाए तो पूरे क्षेत्र में अप्रत्याशित विपत्ति आती है।
श्रीराम और हनुमान से जुड़ा है यह मंदिर:
  • मंदिर से जुड़ी किंवदंती के अनुसार सतयुग में भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के समय इस मंदिर में पूजा की थी।
  • वनवास की अवधि समाप्त होने के बाद श्रीराम ने हनुमानजी को आदेश देकर यहां पर देवी की मूर्ति को स्थापित कराया था।
  • कहते हैं कि हनुमानजी माता को जलस्वरूप में अपने कमंडल में लाए थे।
  • यह भी कहा जाता है कि जिस दिन इस जलकुंड का पता चला, वह ज्येष्ट अष्टमी का दिन था। इसलिए हर साल इसी दिन मेला लगता है। 
  • भक्तों का मानना है कि माता आज भी इस जलकुंड में वास करती हैं। 
  • यह जलकुंड वक्त के साथ-साथ रंग बदलता रहता है जिससे भक्तों को अच्छे और बुरे समय का ध्यान हो जाता है। 
रावण की कुल देवी : एक कथा के अनुसार रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर माता ने रावण को दर्शन दिए जिसके बाद रावण ने उनकी स्थापना श्रीलंका की कुलदेवी के रूप में की। परंतु कुछ समय बाद रावण के बुरे कर्म के चलते देवी उससे रूष्ठ होकर वहां से चली गईं। इसके बाद श्रीराम ने जब रावण का वध कर दिया तब उन्होंने हनुमानजी को आदेश देकर देवी के लिए उनका पसंदीदा स्थान चुनें और उनकी स्थापना करने को कहा। इस पर देवी ने कश्मीर के उक्त स्थान को चुना।