गणेश जी ही ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा घास-फूस अपितु पेड़-पौधों की पत्तियों से भी करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। श्री विनायक को प्रसन्न करने के लिए इन पर मात्र पत्तों को भी अर्पित किया जा सकता है। इनकी पूजा के लिए इनके प्रमुख 21 नामों से 21 पत्ते अर्पण करने का विधान मिलता है।
सुमुखायनम: स्वाहा कहते हुए शमी पत्र चढ़ाएं,
गणाधीशायनम: स्वाहा भंगरैया का पत्ता चढ़ाएं,
उमापुत्राय नम: बिल्वपत्र चढ़ाएं
गज मुखायनम: दूर्वादल चढ़ाएं
लम्बोदराय नम: बेर के पत्ते चढ़ाएं
हरसूनवे नम: धतूरे के पत्ते चढ़ाएं
शूर्पकर्णाय नम: आकंड़े के पत्ते चढ़ाएं
वक्रतुण्डाय नम: सेम के पत्ते चढ़ाएं
गुहाग्रजाय नम: अंगूर पत्ते चढ़ाएं
एकदंताय नम: भटकटैया के पत्ते चढ़ाएं
हेरम्बाय नम: सिंदूर वृक्ष के पत्ते चढ़ाएं
चतुर्होत्रे नम: तेजपात के पत्ते चढ़ाएं
सर्वेश्वराय नम: अगस्त के पत्ते चढ़ाएं
विकराय नम: कनेर के पत्ते चढ़ाएं
इभतुण्डाय नम: अश्मात के पत्ते चढ़ाएं
विनायकाय नम: मदार के पत्ते चढ़ाएं
कपिलाय नम: अर्जुन के पत्ते चढ़ाएं
बटवे नम: देवदारु के पत्ते चढ़ाएं
भालचंद्राय नम: मरुआ के पत्ते चढ़ाएं
सुराग्रजाय नम: गांधारी के पत्ते चढ़ाएं
सिद्धि विनायकाय नम: केतकी के पत्ते अर्पण करें।