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Last Modified: गुरुवार, 19 मई 2022 (14:52 IST)

भगवान विष्णु का त्रिविक्रम रूप क्यों पूजा जाता है ज्येष्ठ मास में

भगवान विष्णु का त्रिविक्रम रूप क्यों पूजा जाता है ज्येष्ठ मास में - Jyeshtha Maas Trivikram Puja
17 मई 2022 से हिन्दू कैलेंडर का तीसरा माह ज्येष्ठ मास प्रारंभ हो चुका है, जो 14 जून तक रहेगा। इस माह में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी और वृट सावित्री का व्रत रखा जाता है और भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने का महत्व होता है। आओ जानते हैं कि ज्येष्ठ मास में भगवान विष्णु का त्रिविक्रम रूप क्यों पूजा जाता है।
 
 
इस माह में जलदान का महत्व है। जलदान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है। इस महीने में मटके में पानी भरकर दान करना चाहिए या सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ लगवाना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार जयेष्ठ मास में भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट होकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
 
भगवान श्रीहरि विष्णु ने वामन रूप में जन्म लिया था। इन्हें ही त्रिविक्रम भी कहा जाता है। महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 109 के अनुसार ज्येष्ठ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके जो भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, वह गोमेध यज्ञ का फल पाता और अप्सराओं के साथ आनन्द भोगता है। 
 
विष्णुपुराण के अनुसार
यमुनासलिले स्त्रातः पुरुषो मुनिसत्तम!
ज्येष्ठामूलेऽमले पक्षे द्रादश्यामुपवासकृत्।-६-८-३३ ..
तमभ्यर्च्च्याच्युतं संम्यङू मथुरायां समाहितः
अश्वमेधस्य यज्ञस्य प्राप्तोत्यविकलं फलम्।-६-८-३४ ..
अर्थात : ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी को मथुरापुरी में उपवास करते हुए यमुना स्नान कर पूजन करने से मनुष्य को अश्वमेध-यज्ञ का फल मिलता है।
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