गीता जयंती : गीता के 10 अनमोल वचन  
					
					
                                       
                  
				  				 
								 
				  
                  				  Geeta Jayanti 2023: हिन्दू मान्यता के अनुसार हमारे दिव्य ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता या गीता पाठ से हमें भगवान का सानिध्य प्राप्त होता है। गीता पाठ से जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानी भी मनुष्य को अपने कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होने देती है। गीता हमें सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता हैं और इस अभ्यासी संसार का सत्य जान लेने के बाद पथभ्रष्ट नहीं होता।
				  																	
									  यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है गीता के 10 अनमोल विचार-
	 
	1. श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को फल की इच्छा छोड़कर अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे फल भी उसी के अनुरूप मिलता है। इसलिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करते रहना चाहिए।
				  
	 
	2. श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार क्रोध, वासना और लालच नरक के 3 द्वार हैं। 
	 
	3. मैं समस्त प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूं। 
				  						
						
																							
									  
	 
	4. जो मनुष्य अपने मन को नियंत्रण में नहीं रख सकता वह शत्रु के समान कार्य करता है। 
	 
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	5. मैं सभी प्राणियों को एकसमान रूप से देखता हूं। मेरे लिए ना कोई कम प्रिय है ना ज्यादा, लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं। वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूं। 
				  																	
									  
	 
	6. जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो। 
				  																	
									  
	 
	7. क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। 
				  																	
									  
	 
	8. सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता तीनों लोक में कहीं भी नहीं है। 
	 
				  																	
									  
	9. व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।
	 
				  																	
									  
	10. इतना कमजोर मत बनो कि कोई आपको तोड़ सके, बल्कि इतना मजबूत बनो कि आप को तोड़ने वाला खुद ही टूट जाए।