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Last Updated : मंगलवार, 12 जनवरी 2021 (11:28 IST)

Paush Amavasya 2021 : अमावस्या के बारे में 10 रहस्य, रहें पूर्णत: सतर्क

Paush Amavasya 2021 : अमावस्या के बारे में 10 रहस्य, रहें पूर्णत: सतर्क - 10 secrets about amavasya
पौष अमावस्या- 13 जनवरी 2021, बुधवार। चंद्र कलाओं पर आधारित पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 और फिर अमावस्या से पूर्णिमा तक दूसरी 15 कुल 30 तिथियां होती हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्र पूर्ण होता है और अमावस्या के दिन चंद्र लुप्त रहता है। हिन्दू सौर-चंद्र-नक्षत्र पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या होती है। प्रत्येक तिथि और वार का हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ता है। इस तिथि के प्रभाव को जानकर ही व्रत और त्योहारों को बनाया गया। आओ जानते हैं कि अमावस्या को क्या खास रहता है।
 
 
1. अमावस्या (अमावस) के देवता हैं अर्यमा जो पितरों के प्रमुख हैं। अमावास्या में पितृगणों की पूजा करने से वे सदैव प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धन-रक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते हैं। यह बलप्रदायक तिथि हैं।
 
2. अमावस्या माह में एक बार ही आती है। मतलब यह कि वर्ष में 12 अमावस्याएं होती हैं। प्रमुख अमावस्याएं : सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्‍य अमावस्या होती है। 
 
3. अमा‍वस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। 
 
4. अमावस्या में दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
 
 
5. चन्द्रमा की 16वीं कला को 'अमा' कहा गया है जिसमें चन्द्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल है। अमा के अनेक नाम आए हैं, जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी। 
 
6. अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे 'कुहू अमावस्या' भी कहा जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।
 
 
7. इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
 
8. इस दिन व्यक्ति में नकारात्मक सोच बढ़ जाती है। ऐसे में नकारात्मक शक्तियां उसे अपने प्रभाव में ले लेती है तो ऐसे में हनुमानजी का जप करते रहना चाहिए। 
 
9. अमावस्या के दिन ऐसे लोगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है जो लोग अति भावुक होते हैं। अत: ऐसे लोगों को अपने मन पर कंट्रोल रखना चाहिए और पूजा पाठ आदि करना चाहिए।
 
 
10. इस दिन हो सके तो उपवास रखना चाहिए। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
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