श्रद्धा मर्डर केस : महरौली के जंगल में शव के टुकड़ों की तलाश जारी, आफताब का नार्को टेस्ट होगा
नई दिल्ली। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बुधवार को श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब पूनावाला के नार्को टेस्ट की इजाजत दे दी। इस बीच लगातार दूसरे दिन भी पुलिस महरौली के जंगलों में शव के टुकड़ों की तलाश कर रही है।
इस बीच श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब की फोन सर्च हिस्ट्री से खुलासा हुआ है कि उसने अनुपमा हत्याकांड सर्च किया था। 2010 में देहरादून में अनुपमा की हत्या हुई थी।
अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या के आरोपी आफताब पूनावाला को जब महाराष्ट्र की मानिकपुर पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में पूछताछ के लिए बुलाया था, तब उसके चेहरे पर पछतावे का कोई भाव नहीं था और वह आत्मविश्वास से भरा नजर आ रहा था।
सहायक पुलिस निरीक्षक संपतराव पाटिल ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि कॉल सेंटर कर्मी वालकर के लापता होने के बाद जब उसके परिवार ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई, तो पालघर के वसई कस्बे की मानिकपुर पुलिस ने पूनावाला को पिछले महीने और फिर तीन नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था। दोनों ही मौकों पर आरोपी ने पुलिस से कहा था कि वालकर उसके साथ नहीं रहती और वह उसे छोड़कर चली गई है।
श्रद्धा के साथ मुंबई के एक समुद्र तट पर सफाई अभियान में शामिल हो चुकी सामाजिक कार्यकर्ता श्रेहा धरगलकर ने बताया कि श्रद्धा सफाई अभियान के दौरान काफी शांत और गुमसुम रहती थी। एनजीओ चलाने वाली श्रेहा ने कहा कि श्रद्धा के सामने आर्थिक परेशानियां भी थीं और उसकी आफताब से अक्सर लड़ाई होती रहती थी। श्रद्धा (27) एक छोटा परिवार और एक बच्चा चाहती थी, यह उसका सपना था।
वालकर के करीबी दोस्त रजत शुक्ला ने आशंका जताई कि पूनावाला श्रद्धा पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहा होगा। उन्होंने कहा कि पूरे मामले के पीछे लव जिहाद, आतंकवाद या कोई और मिशन हो सकता है... इस मामले में जांच होनी चाहिए और सच्चाई सबके सामने आनी चाहिए। वह लोगों को गुमराह कर रहा था, लेकिन अब सच को सामने लाना ही होगा।
उन्होंने कहा कि पूनावाला कोई प्रेमी नहीं लगता, क्योंकि कोई किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर के टुकड़े कर उन्हें फ्रिज में रखकर जंगल में नहीं फेंक सकता, जिससे वह प्रेम करता हो।
उल्लेखनीय है कि करीब 6 माह पहले दिल्ली के महरौली इलाके में पूनावाला ने वालकर की कथित रूप से हत्या कर दी थी। उसने वालकर के शव के करीब 35 टुकड़े कर उन्हें लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर की क्षमता वाले फ्रिज में रखा और फिर कई दिनों में धीरे-धीरे कर उन्हें दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया।
Edited by : Nrapendra Gupta