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Written By Author तृप्ति मिश्रा
Last Modified: शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 (16:24 IST)

एक ग्रामीण गृहिणी से उत्कर्ष सरपंच तक का सफर

एक ग्रामीण गृहिणी से उत्कर्ष सरपंच तक का सफर - Sarpanch of Excellent Gram Panchayat Kodaria Smt. Anuradha Joshi
जब एक अनुभवी गृहिणी किसी कार्यक्षेत्र में आती है तो हर कार्य के लिए उसका एक अलग ही नज़रिया होता है। यही बात इंदौर जिले की उत्कृष्ट ग्राम पंचायत कोदरिया की सरपंच श्रीमती अनुराधा जोशी पर सटीक बैठती है।
 
श्रीमती जोशी का कहना है वो हमेशा से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती थीं। पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते यह संभव नहीं हो पाया। पति एलआईसी के एजेंट थे तो समय निकालकर उस कार्य में भी उनकी मदद करती थीं। फिर जब पंचायत की सीट महिला घोषित हुई तो सरपंच पद के लिए चुनाव मैदान में उतर गईं। 
 
अनुराधा ने बताया कि किस्मत से मैं वो चुनाव जीत गई और मुझे अपने सपनों को साकार करने का एक मौका मिला। चूंकि एलआईसी का काम किया हुआ था तो, लोगों से मेरे संपर्क थे और लोगों को किसी भी बात के लिए राजी करना मुझे आता था।
 
उन्होंने एक रूढ़िवादी महिला सरपंच की छवि तो तोड़ा। श्रीमती जोशी के अनुसार ज़्यादातर महिला सरपंचों की छवि एक नितांत घरेलू महिला की है, जिनके साथ किसी भी सेमिनार में उनके पति, बेटे या भाई भी जाया करते हैं। शुरू में जब वे किसी सेमिनार में गईं तो उनसे पूछा गया कि साथ कौन आया है? अकेली आने के जवाब पर लोग आश्चर्य करते थे।
 
वे कहती हैं कि हमारे पुरुष प्रधान समाज में अधिकतर स्थानों पर महिला सीट होने से कोई प्रभावी व्यक्ति अपनी पत्नी को चुनाव में खड़ा कर देता है और फिर सारे क्रियाकलाप वही करता है। अनुराधा जी के पति अरुण जोशी ने साफ कहा था कि जहां तक सपोर्ट है मैं करूंगा पर तुम्हें अपने कामकाज और पंचायत के निर्णय खुद ही लेने होंगे।
वे कहती हैं कि ये एक तरह से मेरे लिए अच्छा ही रहा उससे मैंने बहुत जल्दी सारा काम सीख लिया। मैंने एक निश्चित समय बनाया कि रोज़ मैं इस समय पंचायत के कार्यालय में जाऊंगी। ये भी एक नई बात थी क्योंकि, पहले सरपंच हर रोज पंचायत आते ही नहीं थे, आते भी थे तो किसी निश्चित समय नहीं। अब मेरे रोज समय से आने से मेरे नीचे के स्टाफ को समय से आना ही पड़ा और जब पंचायत रोज खुलने लगी तो हमें लोगों की समस्याओं का पता चलने लगा।
 
उनके अनुसार मैंने अपने गांव को हर तरह की सुख सुविधा देने के लिए बहुत मेहनत की है। आज पांच सालों में कोदरिया के पास कई ऐसी उपलब्धियां हैं जो किसी और पंचायत के पास नहीं हैं। कितनी ही ऐसी योजनाएं हैं जो यहां से शुरू हुईं और फिर दूसरी पंचायतों ने उन पर अमल किया।
 
सरपंच पद पर रहते हुए अनुराधा ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास की राष्ट्रीय स्तर की अनेक कार्यशालाओं में भाग लिया। वहां से प्राप्त ज्ञान और अपने व्यवहारिक अनुभव को जोड़कर पंचायत के विकास के लिए कार्य किया। 
 
अनुराधा ने बताया कि गांव में 'उड़ान' नाम से महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के साथ सेनेटरी नैपकिन बनाने की यूनिट के साथ ही कई जगह सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर लगवाए ताकि बालिकाओं और महिलाओं को ये आसानी से उपलब्ध हो सकें। राज्य का पहला आरओ वॉटर एटीएम पंचायत भवन कोदरिया में इन्हीं के प्रयासों से लगा। इसके माध्यम से घर-घर पचास पैसे प्रति लीटर शुध्द पेयजल वितरित किया जाता है। 
अनुराधा पूरे देश से एकमात्र महिला सरपंच चुनी गईं, जिन्होंने कानपुर में महामहिम रामनाथ कोविंद के समक्ष 'स्वच्छता ही सेवा है' कार्यक्रम के तहत उद्बोधन दिया। कोदरिया गांव को आईएसओ मानकों के हिसाब से खरा बनाया। कोदरिया प्रदेश की पहली आईएसओ सर्टिफाइड पंचायत बनी। श्रीमती जोशी को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उत्कर्ष सरपंच के रूप में सम्मानित किया गया।
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